पर्यटन मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा होकर खुशियां देता है मन मस्तिष्क को रिचार्ज करता है। पर्यटन से रोजगार बडता है। पर्यटन द्वारा मनुष्य अपने जीवन में कई जानकारियां एकत्रित करता है, तरह-तरह की संस्कृति, सभ्यता, खानपान, रीति रिवाज, पहनावा यह सब उसे देखने सीखने को मिलता है। हमारा देश घनी आबादी वाला देश है और अधिकांश आबादी कम पढ़ी लिखी है गरीब है इसलिए पर्यावरण और पारिस्थितिकी का ज्ञान भी कम है। नतीजन पर्यटन स्थल पर अधिकतर आदमी साफ सफाई का बिल्कुल ध्यान नहीं रखते और जहां खाएंगे बैठेंगे वही कचरा छोड जाते है। कई समझदार है स्वच्छता का ध्यान रखते हैं। कई पर्यटन स्थल पर निशुल्क प्रवेश है वहां गंदगी ज्यादा हो जाती है। जहां प्रवेश शुल्क लिया जाता है वहां सभी सुविधाएं मेंटेन हो जाती है जैसे साफ सफाई, स्वच्छ पीने का पानी और स्वच्छ टॉयलेट। सभी पर्यटन स्थल स्थानीय पंचायत नगर निगम या और जो भी अथॉरिटी हो उसके अधीन होना चाहिए वहां के विकास की सुरक्षा की व स्वच्छता की जिम्मेदारी उन्हीं पर होना चाहिए। नामी पर्यटन स्थल पर ठहरने,भोजन की सुविधा भी हो। पर्यटन स्थल तक पहुंच मार्ग स्ट्रीट लाइट और सुरक्षा के सभी साधन होना चाहीये। पर्यटन किसी भी प्रदेश के लिए आय बहुत बड़ा जरिया होता है। ट्रैकर्स, फोटोग्राफर, प्रकृति प्रेमी और पर्यावरणविद् कि राय से पर्यटन स्थल का सुंदर सुनियोजित विकास हो सकता है।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, वास्तु एवं पर्यावरणविद्)