गंगाशहर,। तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री पावनप्रभा जी के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व का प्रथम दिन बड़े ही उत्साह के साथ गंगाशहर स्थित शांति निकेतन के प्रांगण में मनाया गया।इस अवसर पर साध्वी श्री पावनप्रभा जी ने अपने पावन प्रवचन में कहा कि जैन धर्म का यह महान पर्युषण पर्व एक अलौकिक पर्व है।यह धर्म आराधना का पर्व है।इसमें हमें अपने आप का अवलोकन करना है।उन्होंने अनुप्रेक्षा का महत्व बताते हुए कहा कि वेर भाव को कम करने के लिए मैत्री की अनुप्रेक्षा करनी चाहिए। जिस आत्मा में दया हीनता हो वह करुणा की अनुप्रेक्षा करें तथा जिसमें अहंकार ज्यादा हो, वह प्रमोद भावना करें। पर्युषण के दौरान तीर्थंकर भगवान महावीर का पूर्व भव. जैन इतिहास, जैन संस्कृति व श्रावकों के बारे में प्रस्तुति दी जाएगी।साध्वी श्री जी ने भगवान महावीर का पहले भव नयसार तथा समता का समंदर व्याख्यान द्वारा उद्बोधन दिया।साध्वी श्री आत्मयशा जी ने केंद्र द्वारा निर्देशित पर्युषण के दौरान करणीय त्याग प्रत्याखयान की प्रेरणा दी। साध्वी श्री उन्नतयशा जी ने पर्युषण का प्रथम दिन खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रेरित किया।साध्वी अक्षय प्रभा जी ने पर्युषण महापर्व की महत्ता पर विचार प्रकट किए। साध्वी श्री रम्यप्रभा जी ने पर्यूषण महापर्व की प्रेरणा देते हुए प्रतिक्रमण, प्रवचन व रात्रि कालीन कार्यक्रमों की जानकारी दी।

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