– प्रेम से समृद्ध है राजस्थानी साहित्य
— प्रेम व्यापार का नहीं व्यवहार का नाम है

ओम एक्सप्रेस – बीकानेर
प्रभा खेतान फाउंडेशन के द्वारा से ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के सहयोग से रविवार को आखर राजस्थान के फेसबुक पेज पर डाॅ. गजेसिंह राजपुरोहित की सद्य प्रकाशित पुस्तक “पळकती प्रीत” का वर्चुअल लोकार्पण किया गया। राजस्थानी साहित्य, कला और संस्कृति से परिचय करवाने के लिए ”आखर“ नाम से आयोजित पहल के अंतर्गत राजस्थानी भाषा के साहित्य और लोकार्पित पुस्तक ‘पळकती प्रीत’ पर चर्चा की गई। श्री सीमेंट की ओर से समर्थित इस डिजीटल लाइव कार्यक्रम में महेंद्र सिंह छायण ने पुस्तक की प्रस्तावना से अवगत करवाते हुए कविताओं के मुक्त छंद का महत्व उजागर किया है।
बीज वक्तव्य देते हुए युवा साहित्यकार राजूराम बिजारणियां ने कहा कि यह पुस्तक प्रबंध काव्य के रूप में है। इन कविताओं के मूल में प्रीत तत्व की प्रमुखता है और प्रेम तत्व संसार में आवश्यक रूप में विधमान है। प्रेम व्यापार का नहीं व्यवहार का नाम है। इतिहास की गाथाएं बताती है कि राजस्थानी साहित्य प्रेम से समृद्ध है। पुस्तक प्रीत भावना से सराबोर है।
साहित्यकार एवं समालोचक अतुल कनक ने समीक्षा करते हुए कहा कि सृजन के मूल में संवेदना होती है। अपने दुख को भी अभिव्यक्त करे तो ऐसा लगे कि दूसरे का दुख भी समान रूप से अभिव्यक्त हुआ है। पळकती प्रीत की कविताएं आधुनिक राजस्थानी साहित्य को समृद्ध करती है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाॅ. आईदान सिंह भाटी ने कहा कि इस लाइव कार्यक्रम में जैसलमेर, जोधपुर, गंगानगर, बीकानेर, कोटा और जयपुर से शामिल हुए है। यह राजस्थानी की ताकत है। राजस्थान की आंचलिकता एकत्रित हुई है। पुस्तक में प्रेम तत्व का आंतरिक ओज अभिव्यक्त हुआ है। इसमे भाषा की लय अच्छी है। सौंदर्य बोध अपनी भाषा में कहा गया है। प्रेम तत्व केवल स्त्री-पुरूष ही नहीं मिनख पणै की बात है। अपनी कलम से पूरे देश की प्रेम कथाओं को राजस्थानी में लाने की जरूरत है। प्रेम में जाति-मजहब, पशु पक्षी नहीं देखा जाता है। राजस्थानी साहित्य में नए एवं युवा लेखकों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। आंचलिक लोक भाषाओं के लिए आखर की यह पहल अच्छी है। पुस्तक के लेखक गजेसिंह राजपुरोहित ने पुस्तक की जानकारी देते हुए बताया कि पुस्तक में राजस्थान की पुरानी प्रेम कहानियों पर राजस्थानी में प्रेम कविताओं का सृजन किया गया है। इन प्रेम कथाओं को अमरता प्रदान करने वाले सहायक पात्र भी है। इन पात्रों ने भी प्रेम कथाओं का प्रचार किया है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
गौरतलब है कि आखर कार्यक्रम में फेसबुक पर ही इससे पहले साहित्यकार मोहन पुरी की पुस्तक ”अचपळी बातां“ का लोकार्पण हो चुका है। इसके अतिरिक्त प्रतिष्ठित राजस्थानी साहित्यकारों डाॅ. आईदान सिंह भाटी, डाॅ. अरविंद सिंह आशिया, रामस्वरूप किसान, अंबिका दत्त, मोहन आलोक, कमला कमलेश, भंवरसिंह सामौर, डॉ. नीरज दइया, डाॅ. गजादान चारण आदि के साथ साहित्यिक चर्चा की जा चुकी है।