” चुनाव नतीजे के बाद हिंसा ”
नई दिल्ली, (दिनेश शर्मा “अधिकारी “)। सोशल मीडिया पर बीरभूम ज़िले के नानूर में बीजेपी की दो महिला चुनावी एजेंटों के साथ टीएमसी के लोगों ने सामूहिक बलात्कार और मारपीट की है.,जबकि हकीकत यह है कि ख़ुद उस महिला ने इस दावे को पूरी तरह फ़र्ज़ी क़रार दिया है. पुलिस अधीक्षक नागेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने भी कहा है कि ज़िले में बलात्कार की कोई घटना नहीं नहीं हुई.
सोशल मीडिया पर कूचबिहार ज़िले के शीतलकुची में टीएमसी के गुंडों ने मानिक मैत्र (20) नामक बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या कर दी है. जबकि हकीकत है कि मृतक के चाचा कार्तिक मैत्र कहते हैं, “मानिक किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ा था. हालाँकि पुलिस ने अब तक इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है. वैसे, ममता बनर्जी शीतलकुची में 10 अप्रैल को हुई फ़ायरिंग के बाद कूचबिहार ज़िले के एसपी पर सरेआम पक्षपात पूर्ण कार्रवाई के आरोप लगाती रही हैं.”
पश्चिम बंगाल में चुनावी नतीजों के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैली हिंसा में सोशल मीडिया पर किए जाने वाले दावों ने भी आग में घी डालने का काम किया है. रविवार रात से ही ऐसी सैकड़ों तस्वीरें और वीडियो टीएमसी की कथित गुंडागर्दी के दावों के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे है।
पश्चिम बंगाल में हिंसा जारी, 17 हुई मृतकों की संख्या:
ममता बनर्जी
इनमें कहीं बीजेपी के दफ़्तरों को जलते दिखाया गया है तो कहीं दुकान या मकानों में लूटपाट के दृश्य हैं.
एक वीडियो में तो कुछ युवक दो महिलाओं को बाल पकड़ कर बड़ी बेरहमी से खींचते और उनको मारते नज़र आते हैं.महिलाओं की पिटाई वाला वीडियो कहाँ का है, यह साफ़ नहीं है. बीजेपी के नेता या पुलिस ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
सोशल मीडिया पर रविवार की हिंसा के बाद सोमवार को बीजेपी की ओर से सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया गया कि टीएमसी के लोगों ने पार्टी की दो महिला चुनाव एजेंटों के साथ सामूहिक बलात्कार और मारपीट की है.बीजेपी नेता सौमित्र ख़ान ने राजीव राय नामक यूज़र के हैंडल से किए गए ट्वीट को री-ट्वीट किया है.
ठीक यही ट्वीट बीजेपी की महिला नेता अग्निमित्र पाल ने भी किया है। ख़ान के रीट्वीट में जहाँ इसे एक बीजेपी कार्यकर्ता की माँ बताया गया है वहीं अग्निमित्र ने इसे नानूर में गैंगरेप वाले ट्वीट से जोड़ा है.
पुलिस क्या कह रही है…..???
लेकिन मंगलवार शाम को उनमें से एक महिला ने टीएमसी के ज़िला अध्यक्ष अणुब्रत मंडल के दफ़्तर में बैठकर पत्रकारों से कहा, “मेरे साथ ऐसी कोई घटना ही नहीं हुई है. सोशल मीडिया पर इस बारे में फ़र्ज़ी ख़बरें पोस्ट की जा रही हैं. मुझे नहीं पता किसने यह झूठी ख़बर फैलाई है.” वहीं ज़िला टीएमसी अध्यक्ष अणुब्रत मंडल का कहना था, “यह बीजेपी के आईटी सेल की करतूत है. उसके लोग फ़र्ज़ी और पुराने वीडियो और तस्वीरों के साथ ऐसे दावे कर रहे हैं.।
बीरभूम के पुलिस अधीक्षक नागेन्द्र नाथ त्रिपाठी कहते हैं, “सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाने वाली यह ख़बर झूठी और निराधार है. एक राजनीतिक पार्टी के कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर बीजेपी की दो महिला एजेंटों के साथ सामूहिक बलात्कार का जो दावा किया है वह पूरी तरह फ़र्ज़ी है. पुलिस ने नानूर के बीजेपी उम्मीदवार के अलावा स्थानीय नेताओं के साथ बात की है. उनको भी ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं है. हम ऐसी पोस्ट डालने वाले लोगों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करेंगे.” बीरभूम ज़िला बीजेपी अध्यक्ष ध्रुव साहा ने पत्रकारों के सवालों पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. बीजेपी नेता सौमित्र ख़ान और अग्निमित्र पाल ने सोशल मीडिया पोस्ट में बीरभूम में महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार और छेड़छाड़ का दावा करते हुए इसके लिए टीएमसी को ज़िम्मेदार ठहराया था. लेकिन अब उस महिला और पुलिस अधीक्षक के बयान के बाद ऐसे नेताओं ने चुप्पी साध ली है.
‘अगर फ़ेक है तो कैसे हुई हत्याएँ’
बीजेपी अध्यक्ष नड्डा बंगाल के दौरे पर
लेकिन प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, “जब मुख्यमंत्री इसे फ़ेक बता रही हैं तो आख़िर हमारे नौ कार्यकर्ताओं की हत्या कैसे हो गई. उन्होंने फ़र्ज़ी वीडियो और तस्वीरों के बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.” वैसे, रविवार से सोशल मीडिया पर कई पुराने वीडियो और तस्वीरें डाल कर इनको बंगाल की हिंसा का बताया जा रहा है.।मिसाल के तौर पर ओडिशा के भद्रक ज़िले में इस साल जनवरी में एक व्यक्ति की मौत के बाद पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच हुई झड़प को पुलिस की टीम पर टीएमसी के लोगों के हमले के तौर पर प्रचारित किया गया है.।सबसे ख़ास बात यह है कि ऐसे ज़्यादातर पोस्ट में हमलावरों को अल्पसंख्यक और पीड़ितों को हिंदू बताया गया है.। समाजशास्त्री अभिनव चटर्जी कहते हैं, “पश्चिम बंगाल में राजनीतिक और चुनावी हिंसा का इतिहास और परंपरा बहुत पुरानी रही है. लेकिन यह पहला मौक़ा है जब इसे धार्मिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है. यह प्रवृत्ति ख़तरनाक है. पहले चुनावों के दौरान ध्रुवीकरण की कोशिशें हुईं और उसमें कामयाबी नहीं मिलने के बाद अब इस हिंसा को भी धार्मिक चश्मे से देखने के कोशिशें हो रही हैं.”। उनका सवाल है कि क्या ऐसे वीडियो और तस्वीरें शेयर करने वाले नेताओं ने उसकी सत्यता की पुष्टि की है? अगर नहीं तो उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी प्रक्रिया शुरू किया जाना चाहिए।
ममता शपथ ग्रहण करते हुए
इन मामलों की सच्चाई सामने आने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि हिंसा की घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर पेश कर बीजेपी बंगाल में राष्ट्रपति लागू शासन लागू कराने का प्रयास कर रही है। कार्यभार संभालने के बाद अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में उनका कहना था, “राज्य में चुनाव बाद हिंसा की कुछ घटनाएँ ज़रूर हुई हैं. लेकिन बीजेपी इस आग में घी डालने का प्रयास कर रही है. हिंसा उन इलाक़ों में ज़्यादा हो रही है, जहाँ बीजेपी जीती है. इस हिंसा को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशें भी हो रही हैं. इसके लिए फ़र्ज़ी वीडियो और तस्वीरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. राजनीतिक दल ऐसा करने से बाज़ आएँ, वरना क़ानून अपना काम करेगा.” । राजनीतिक पर्यवेक्षक पार्थ प्रतिम विश्वास कहते हैं, “हिंसा की ज़्यादातर घटनाएं ग्रामीण इलाक़ों में हुई हैं. वहाँ स्थानीय लोगों की आपसी तनातनी इसकी प्रमुख वजह हो सकती है. यह संभव है कि शीर्ष नेताओं ने इसका समर्थन नहीं किया हो. लेकिन फ़र्ज़ी वीडियो और तस्वीरों के ज़रिए अब इन मामलों को अपने हित में भुनाने की क़वायद तेज़ हो गई है. बंगाल में हम पहले भी फ़ेक वीडियो और तस्वीरों के ज़रिए सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश देख चुके हैं. प्रशासन को ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.” । ममता बनर्जी की शांति बहाली की अपील से काम नहीं होगा. उनको कुछ कड़े फ़ैसले लेने होंगे. बंगाल अब कोरोना महामारी के बीच किसी दंगे का ख़तरा नहीं उठा सकता.। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद बीते रविवार से जारी हिंसा में मरने वालों का आँकड़ा 17 तक पहुँच गया है. बीजेपी ने इनमें से नौ के अपना कार्यकर्ता होने का दावा किया है तो टीएमसी ने अपने सात लोगों की बीजेपी के हाथों हत्या का आरोप लगाया है. एक व्यक्ति को इंडियन सेक्युलर फ्रंट का कार्यकर्ता बताया गया है. इस बीच, राज्य के कुछ हिस्सों से तोड़-फोड़ औऱ आगजनी की खबरें भी आई हैं.