-इंजीनियरों की मौजूदगी में करवाई खुदाई में लोहे की जगह निकले प्लास्टिक के पाइप
– बाबू से बना डीएस सीई पर पड़ा भारी, पीएचईडी की महिमा न्यारी


जयपुर, (हरीश गुप्ता)। अब लग रहा है ईडी को राजस्थान से फुर्सत नहीं मिलने वाली है। पहले आरपीएससी, फिर मिड- डे मील और अब जल के बाद स्वास्थ्य विभाग की भी तबीयत ठीक करने वाला है प्रवर्तन निदेशालय। सबसे बड़ा कारण है यहां प्रदेश से ईडी के पास बेशुमार शिकायतें जा रही है।
सूत्रों की मानें तो केंद्र के आर्थिक सहयोग से संचालित जल जीवन मिशन के अंतर्गत पीएचईडी ने मैसर्स विष्णु पुंगलिया को करीब 1 हजा़र करोड़ के सात टेंडर दिए थे। फर्म ने टेंडर में दी थी झूठी व गलत जानकारी। इस बीच किसी को इस बात की भनक लग गई और मामला चर्चाओं में आ गया। इस पर एक्सईएन ने भी शपथ पत्रों को गलत माना। शपथ-पत्र बिड क्षमताओं को लेकर दिए हुए थे।
सूत्रों की मानें तो फर्म सूर्य नगरी के रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखती है। दबाव बनवाया गया होगा तो बिड एव्यूलेशन कमेटी में चीफ इंजीनियर ने शपथ- पत्रों को सिरे से झूठा माना। इतना ही नहीं कमेटी ने फर्म को निविदा से अपात्र मानते हुए बाहर कर दिया। चर्चाएं जोरों पर हैं, ‘कमेटी ने भी उस फर्म पर रहम कर दिया।’ ‘…बाहर करते ही उस फर्म के खिलाफ झूठा शपथ-पत्र देने की कार्रवाई भी करनी चाहिए थी।’
सूत्रों की मानें तो चर्चाएं जोरों पर है, ‘फर्म ने नियमों से परे जाते हुए बाबू से उप शासन सचिव बने गोपाल सिंह शेखावत के यहां अपील लगाई।’ ‘…गोपाल सिंह ने ऐसी बांसुरी बजाई की फर्म को निविदा में फिर से योग्य करार दे दिया गया।’ बड़ा सवाल खड़ा होता है क्या बाबू से बने डीएस इंजीनियरों से ज्यादा समझते हैं? क्या उप शासन सचिव संयुक्त शासन सचिव से बड़ा है? उन्हें सुनवाई का अधिकार किसने दिया?
सूत्रों की मानें तो यह फर्जीवाड़ा अतिरिक्त मुख्य सचिव पीएचईडी डॉ सुबोध अग्रवाल तक पहुंचा, तो उन्होंने इस फार्म के सभी टेंडरों पर रोक लगा दी है। अब पीएचईडी के अधिकारी उन लोगों को बचाने में जुटे हुए हैं, जिन्होंने इस फर्म के लिए पॉजिटिव काम किया।
सूत्रों की मानें तो दो दिन पहले ईडी ने शाहपुरा में इंजीनियरों की मौजूदगी में खुदाई करवाई। कहते हैं खुदाई में पाइप प्लास्टिक के निकले, जबकि फाइलों में लोहे के बताए गए हैं। अब ईडी चेक कर रही है कि मामले से कौन-कौन जुड़ा हुआ है।