-समर्थकों की भी हिम्मत अब टूटने लगी है, कर्म के बिना नीली छतरी वाला भी साथ नहीं देता, यह भूल रहे हैं

जयपुर, (हरीश गुप्ता)।राह से भटके हुए कांग्रेस नेता सचिन पायलट के लिए 11 का अंक कोई विशेष काम नहीं आया। अब तो उनके समर्थकों की हिम्मत भी टूटने लग गई है। 11 जून के लिए समर्थकों में एक उम्मीद थी, उस पर भी पानी फिर गया।
गौरतलब है पायलट का मानना है कि 11 का अंक उनके लिए शुभ है। शायद इसीलिए उनका सिविल लाइंस का बंगला 11 नंबर का है। 11 अप्रैल को अनशन किया गया, 11 मई को अजमेर से पदयात्रा की गई, 11 जून को दौसा में विशाल सभा का आयोजन। दौसा के आयोजन से पूर्व सभी मान रहे थे कि पायलट कोई बड़ा बम फोड़ेंगे, लेकिन बम धोखा दे गया और फुस्स निकल गया।
सूत्रों की मानें तो सचिन पायलट ने तीन मांगे रखी थी। वसुंधरा राजे सरकार के समय के घोटालों की जांच, राजस्थान लोक सेवा आयोग का पुनर्गठन और पेपर पेपर लीक प्रभावित बेरोजगारों को मुआवजा दिए जाने की मांग। उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक निजी चैनल को दिए साक्षात्कार में स्पष्ट कह दिया था कि जो भी वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में घोटालों की बात करते हैं, उच्च न्यायालय उन सभी मामलों में क्लीन चिट दे चुका है। रही बेरोजगारों को मुआवजे की बात, तो ऐसे बेरोजगारों की संख्या करीब 50 लाख है, जो संभव नजर नहीं आता।
जानकारी के मुताबिक कुछ दिनों पहले पर सचिन पायलट ने कहा था कि ‘उन्हें नीली छतरी वाले पर पूरा भरोसा है।’ शायद पायलट भूल रहे हैं कि नीली छतरी वाले के सिद्धांत पर भी चलना होगा। गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा, ‘पार्थ अगर मनुष्य सच्चे मनोयोग से कर्तव्यनिष्ठ होकर कोई निर्णय लेता है, तो उस काम को पूरा करने के लिए दैव्य शक्ति भी मजबूर हो जाती है।
आपको बता दें कि हनुमान बेनीवाल का जब भाजपा में दम घुटने लगा, उन्होंने तत्काल बीजेपी छोड़ी और कड़ा निर्णय लेते हुए नई पार्टी बना डाली। मेहनत रंग लाई और पार्टी से एक सांसद और तीन विधायक बने। उन्हें भी तेजाजी महाराज(नीली छतरी) ने आशीर्वाद तभी दिया, जब उन्होंने संघर्ष किया। अब पायलट के पास कुछ विशेष बचा भी नहीं है। अतः कुछ दिनों बाद बचे हुए समर्थक भी किसी और की शरण में चले जाएंगे। ऐसा हम नहीं कह रहे, चारों तरफ चर्चा भी यही है।