-रविवार को मनाया जाएगा कृष्ण जन्मोत्सव

बीकानेर। भगवान की कृपा का नाम पोषण है। भगवान कृपा करते हैं। ऐसी कोई बुराई बाकी नहीं थी जो अजामिल में नहीं थी। फिर भी देखो उसके लिए भगवान के यहां से विमान आया। यमराज जी के यहां उनकी प्रशंसा हुई। पुत्र के बहाने से लिया गया भगवान का नाम अजामिल के लिए वरदान बन गया। भगवान का नाम आपके लिए कब वरदान बन जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। इसलिए भगवान का नाम लो, उनका भजन करो। यह सद्ज्ञान महंत क्षमाराम जी महाराज ने कथा वाचन करते हुए श्रद्धालु भक्तों को कथा श्रवण के दौरान दिया। महंत क्षमाराम जी महाराज गोपेश्वर भूतेश्वर महादेव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा पाक्षिक महायज्ञ के दौरान दक्ष प्रजापति का प्रसंग बताते हुए कहा कि दक्ष प्रजापति पहले ब्रम्हा जी के पुत्र थे, पुत्र हैं भी परन्तु उन्होंने यज्ञ में अपराध किया। भगवान शंकर का बकरे का मुख लग गया। बड़ी बेइज्जती हो गई, तब ये प्रचेताओं के यहां आए उनके पुत्र बन गए और बकरे का दोष भी मिट गया। महंत क्षमाराम जी महाराज ने कहा कि परीक्षित के प्रश्नों से ऐसा लगता है कि वे बहुत सावधानी से कथा सुनते हैं। सज्जनों भागवत का पाठ करते-करते भी कई बार हम लोग इसमें भटक सकते हैं कि यह प्रश्न कहां से हुआ? कैसे हुआ? क्योंकि बहुत पीछे से खोजते हैं परीक्षित। महाराज ने कहा जो ध्यान से सुनेगा, वह खोजेगा। घनबाण वृताअसुर रोजाना एक बार बढ़ जाता था। सब देवता घबरा गए उससे, भगवान से प्रार्थना की, भगवान ने कहा मैं नहीं मारुंगा उसे, हम बीच में नहीं आते, मैं आपको उपाय बता देता हूं। दधीची ऋषियों की हड्डी से अस्त्र बनाओ और अंत करो। देवता दधीची के पास गये और उनसे हड्डी मांगने लगे। दधीची ऋषि ने देवताओं से कहा- क्या बात करते हो, जीते जी हड्डी कौन देता है। जीवन किसको प्यारा नहीं लगता। देवताओं की बात पर प्रसन्न होकर दधीची ने कहा – जो मेरा त्याग करता है, उसी का तो त्याग करना है। उन्होंने प्राण वायु को ऊपर खींच लिया और प्राण चला गया। असुर ने इन्द्र को ललकारा और कहा- मैं अपने भाई का बदला लेने आया हूं। दधीची की हड्डियों से करो मुझ पर प्रहार और इस प्रकार युद्ध होता है और असुर को दधीची की हड्डियों से बने शस्त्र से मारा गया। महाराज ने कहा कि दुनिया में सब दुख पाते हैं, सुख का पता नहीं है। लेकिन फिर भी मनुष्य समझता नहीं है। कीड़ा बनकर जीता है। भगवान सब जगह है। इसके अलावा कुछ है ही नहीं। भगवान केवलानन्द स्वरूप है। आज की कथा में महंत जी ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म का प्रसंग सुनाया। आयोजन से जुड़े गोपाल अग्रवाल ने बताया कि रविवार को सुबह कथा आरंभ पर कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए पंडाल को फूलों से सजाया जा रहा है। कार्यकर्ता जन्मोत्सव की तैयारियां हर्ष और उल्लास के साथ कर रहे हैं।