-फौजी को ले दिनभर बोलने से बचते रहे पुलिस अधिकारी।
-फौजी की माँ ने की पुष्टि
सुपौल/बिहार
आखिरकार पुलिस से पंगा लेना महँगा पड़ा फौजी को ।पुलिस ने नाटकीय ढंग से गुरुवार को अंततः साढ़े तीन लाख रुपये लूट के पीड़ित फौजी मनोज कुमार ही जेल भेज दिया। जेल भेजने में इतनी गोपनीयता रखा गया मानो किसी आतंकवादी को जेल भेज रहे हो। हालांकि किस मामले में पीड़ित फौजी को जेल भेजा गया ,यह बताने के लिए थानाध्यक्ष सहित कोई पुलिस कर्मी बताने को तैयार नहीं है। पुलिस ने सूचना जारी करने पर अघोषित सेंसर लगा दिया है। मामले को लेकर पुलिस चुप्पी साध ली है। काफी कुरेदने पर थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार ने बस इतना कहा कि सुपौल भेजा गया है, वही एसडीपीओ गणपति ठाकुर ने मारपीट में जेल भेजे जाने की बात कही है। अलबत्तासाढ़े तीन लाख रुपए लूट कांड के पीड़ित की माँ ने फौजी को जेल भेजे जाने की पुष्टि की है, लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि किस आरोप में जेल भेजा गया है।
मालूम हो कि बीते मंगलवार को दिन दहाड़े अपराधियों ने हथियार के बल पर सीमा सुरक्षा बल के जवान मनोज कुमार से साढ़े तीन लाख रुपये उस बक्त लूट लिया था जब वह मकान बनाने के लिए मेटेरियल खरीदने रुपये लेकर बाजार जा रहा था कि टाऊन हाल के पास घटना घट गई।हालांकि लिखित शिकायत के बाद पुलिस ने त्वरित कार्यवाही करते हुए जदियापुलिस के सहयोग से एक आरोपी की शिनाख्त कर लिया था।लेकिन बुधवार को मामला में तुईस्ट उस बक्त आ गया जब पुलिस पीड़ित फौजी के पुत्र को पकड़ कर थाना ले आई और एक कमरे में उसे थर्ड डिग्री दिया जाने लगा।पीड़ित फौजी का बस इतना कसूर है कि उनसे अपनी आँखों के सामने बेटे की पिटाई बर्दाश्त नहीं हुई।
जोश में आकर उन्होंने बेटे के पकड़ने और पीटने का कारण पूछ लिया।फिर क्या था थानेदार जी रो में आकर फौजी के मां और बेटे के सामने ही फौजी की पिटाई जानवर की तरह कर हाजत में डाल दिया।फौजी चिलाता रहा । कुछ लोगो का कहना है कि बेटे को बचाने के लिए फौजी ने न सिर्फ कड़ा प्रतिरोध किया बल्कि थानेदार के साथ उसकी धक्का मुक्की हुई ।इसी को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना कर गुरुवार को उन्हें जेल भेज दिया गया। पुलिस का यह अमानवीय व्यवहार चर्चा का बिषय बना हुआ है। पुलिस ने पत्रकारों सेभी बात नहीं करने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया है।