

पटना सामाजिक बदलाव के लिए संस्कार जरूरी श्री विजय कुमार सिन्हा, अध्यक्ष बिहार वि धान सभा”
पटना, रिपोर्ट – अनमोल कुमार ।सामाजिक बदलाव के लिए संस्कार की शिक्षा जरूरी है। ज्ञान जीवन के लिए जरूरी है, परंतु संस्कार और चरित्र के बिना ज्ञान मंगलकारी नहीं होता। खुशी की बात है कि आचार्यश्री सुदर्शन जी महाराज बच्चों को नैतिक और संस्कारमूलक शिक्षा देते हैं। उनके जन्मोत्सव का संदेश है कि जन-जीवन में संस्कार और संस्कृति का दीप जले। तभी समाज से कटुता और पशुता मिटेगी।” ये सारी बातें मुख्य अतिथि के रूप में बिहार विधान सभा के अध्यक्ष श्री विजय कुमार सिन्हा ने 2 जून, 2022 को श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित आनन्दोत्सव के मौके पर रखी और आचार्यश्री को अवतरण-दिवस पर बधाई दी।
पूर्व कानून मंत्री, भारत सरकार एवं पटना संसदीय क्षेत्र के सांसद श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महपुरुषों का अवतरण एक महान उदेश्य के लिए होता है। चाहे भगवान राम हो या बुद्ध बिहार में शैक्षणिक क्षेत्र में आचार्यश्री सुदर्शन ने संस्कार और स्वावलम्बन की शिक्षा देने का काम बहुत निष्ठा के साथ किया है।
विशिष्ट अतिथि श्री मंगल पाण्डे ने कहा कि आज समाज में खासतौर से बच्चों में सांस्कृतिक धरोहर को भूलते जा रहे हैं। यह दुःखद स्थिति है। ऐसे वक्त में आचार्यश्री सुदर्शन जी महाराज से समाज को काफी उम्मीदें हैं। उनकी पहचान संस्कृति के प्रहरी के रूप में बनी है। आशा है बच्चों में संस्कृति के दीपक जलाते रहेंगे।
इस मौके पर श्री रविशंकर प्रसाद- भूतपूर्व कानून मंत्री भारत सरकार एवं वर्तमान सांसद, श्री नितिन नवीन, सड़क निर्माण मंत्री, श्री विवेक कुमार सिंह, विकास आयुक्त, बिहार, श्री यूनीस हुसैन हॉकिम, अध्यक्ष, बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग, श्री राजकुमार नाहर, निर्देशक, दूरदर्शन और श्री दिलीप दुबे- हास्य कवि, कानपुर मौजूद रहे।
संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ० बी. के. सुदर्शन ने गणमान्य अतिथियों को प्रतीक चिह्न पटका, शॉल के साथ आचार्यश्री के द्वारा रचित पुस्तकों को प्रदान कर सम्मानित किया। अपने स्वागत भाषण में डॉ० बी. के. सुदर्शन ने आचार्यश्री द्वारा चल रहे समाज कल्याणकारी शैक्षणिक कार्यों का उल्लेख किया और उसके प्रति अपनी निष्ठा और प्रतिबद्धता जतायी।
डॉ० कुमार अरूणोदय, अवतरण दिवस को आनन्दोत्सव के रूप में मनाने के उद्देश्य को बताया और कहा कि आनन्दोत्सव हमारी सामाजिक समरसता का प्रतीक है।
इस मौके पर आचार्यश्री एवं उपस्थित भक्तजनों द्वारा माँ जी के प्रतिमा पर पुष्पांजलि की गयी तत्पश्चात् भक्तजनों द्वारा सदगुरु के रूप में आचार्यश्री का पद-पूजन, आरती और पुष्पांजलि की गयी। सारा कार्य वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया गया। अपने आशीर्वचन में पूज्य आचार्यश्री ने कहा कि “शिक्षा आदमी की सबसे बड़ी दौलत है। शिक्षा संस्कार के बिना सुरक्षित नहीं रहती। मेरा प्रयास रहा है कि शिक्षा जीवन में उतरे। यह तभी संभव हो जब बच्चों को जीवन-जीने की कला सिखायी जाए। किताबी ज्ञान से व्यावहारिक ज्ञान बहुत गुरूरी है। अगर श्रीराम गुरुकुल में व्यावहारिक ज्ञान की शिक्षा नहीं लिये होते, तो वे चौदह वर्ष वनवास का कष्ट नहीं झेल पात । शिक्षा स्नेहयुक्त एवं तनावरहित होनी चाहिए। हमने अपने विद्यालय परिसर को तनाव रहित बनाने का हरसंभव प्रयास किया है। स्कूलों का वातावरण भयमुक्त होना चाहिए। यही हमारा संदेश है” ।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत भक्तिमय वातावरण में श्री गणेश वंदना से की गयी। आचार्यश्री द्वारा रचित गणेश वंदना की नृत्य प्रस्तुति कृष्णा निकेतन की छात्राओं द्वारा की गयी। इसका बोल था- जय जय जय गणपति जी की जय हो। आचार्य श्री सुदर्शन पटना सेंट्रल स्कूल की नृत्य प्रस्तुति गुरुवंदना से ओतप्रोत थी । इसका बोल था- संजा दो घर को गुलशन-सा, मेरे गुरुदेव आए हैं’, ‘थोडी देर रूको राम तमन्ना यही है’, नृत्य प्रस्तुति सुनकर दर्शक झूम उठे। इसके बाद तो आओ मेरी सखियां मुझे मेंहदी लगा दो’, ‘भोले भंडारी को मनायेंगे हम और दमादम मस्त कलंदर का जो संगीत-सरिता उमडी, उसमें दर्शक भाव-विभोर हो उठे। इस मौके पर “हमें भी पढाओ” में पढ़ने वाले बच्चों की माँ ने कलश यात्रा निकाली। सभा के अंत में, उपस्थित भक्तों द्वारा गुरु चरणों में पुष्पांजलि चढ़ायी गयी ।
प्राचार्य श्री ओ.पी. सिंह ने इस महोत्सव में उपस्थित अतिथियों, अभिभावकों एवं समस्त भक्तजनों के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट किया और सहयोग एवं समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।