-सरस्वती प्रिंटिंग प्रेस भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रडार पर
-‘लोहागढ़’ के नेताजी हुए भूमिगत, कसीनो वाले देश जाने की संभावना

जयपुर (हरीश गुप्ता )। पेपर लीक मामले में कई बड़ी मछलियां ईडी की जद में आने वाली है। पेपर लीक प्रकरण की जांच से जुड़ी टीम बेशक दिल्ली में हो, लेकिन कड़ी से कड़ी जोड़ने में लगी हुई है। जल्द ही ऐसे बड़े लोगों के नाम सामने आ सकते हैं, जिसके बारे में किसी ने सोचा भी न होगा।
सूत्रों की मानें तो डॉक्टर धर्मपाल जारोली ने एसओजी की पूछताछ में बयान दिया था कि उन्होंने अपने सेलर की चाबी रीट के कोऑर्डिनेटर को दे दी थी। उस आधार पर एसओजी ने डॉक्टर जारोली को क्लीन चिट दी थी। वहीं सूत्रों की मानें तो चाबी बने सिंह को सौंपी थी। बने सिंह से भी ईडी पूछताछ कर सकती है। सवाल खड़ा होता है कि जिसमें आगे होने वाले पेपर रखे होते हैं, उसकी चाबी किसी दूसरे को कैसे सौंप दी? जैसे किसी पुलिस अधिकारी की सर्विस रिवॉल्वर कोई दूसरा नहीं रख सकता। अगर उससे कोई मर्डर हो गया, तो दोषी फायर करने वाले के साथ में अधिकारी भी होगा।
सूत्रों ने बताया कि सरस्वती प्रिंटिंग प्रेस भी ईडी के रडार पर है। पेपर लीक में इस प्रेस का क्या रोल रहा? ईडी के हाथों काफी कुछ सबूत लगे हैं। इस प्रिंटिंग प्रेस पर राजस्थान से सबसे पहले किसने कॉपियां-पेपर छपवाए? उसके बाद इस प्रेस से इतना रिश्ता कैसे बढ़ा? इसके भी ईडी जांच के कागजात इकट्ठे कर रही है।
सूत्रों की मानें तो सचिवालय में चर्चाएं जोरों पर हैं, ‘लोहागढ़ के नेता जी भूमिगत हो गए हैं।’….. कसिनो वाले देश में जाने की बातें बहुत जोरों पर है।’ ‘लोहागढ़ में उनकी खूब चलती है।’ ‘… वह अलग बात है कि खुद के वार्ड से कांग्रेस के पार्षद को चुनाव नहीं जिता पाए।’ सवाल खड़ा होता है अगर यह चर्चाएं वाकई में सही है तो सवाल खड़ा होता है कि भूमिगत क्यों हुए?चर्चा करने वालों का कहना है कि राजीव गांधी स्टडी सर्कल के कारण नेताजी पर ईडी की आंच आ सकती है।
सूत्रों की मानें तो आएएस में जिन नेताओं के रिश्तेदार टॉप नंबर से सेलेक्ट हुए, उन नेताओं से भी ईडी पूछताछ करेगी। लेकिन अभी फिलहाल तार जोड़ने में लगी हुई है। वास्तविकता भी यह है कि प्रदेश के मुखिया बेरोजगारों के लिए काफी चिंतित रहते हैं और वह भी चाहते हैं कि पेपर लीक से जुड़ा हर अपराधी जेल में हो। शायद इसीलिए जालौर के दौरे के समय उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कह दिया था कि यहां पर पेपर लीक वाले ज्यादा ही है। इसीलिए सचिन पायलट की पेपर लीक प्रभावित बेरोजगारों को मुआवजा की मांग उचित नहीं लगती, वैसे वह संभव भी नहीं है।