आरटीई की डेढ साल से बकाया सभी किश्तों का शीघ्र ही किया जाए भुगतान

पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने ऊर्जा मंत्री डॉ बी डी कल्ला को सौंपा मांगपत्र

सभी मांगों की पुरजोर पैरवी करेंगे डॉ कल्ला

बीकानेर। लॉक डाऊन के विकट काल की वजह से गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं पर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। इस संकट की स्थिति में राज्य सरकार से गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं ने विशेष आर्थिक पैकेज और अनुदान की मांग गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के संचालकों ने की है।
प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा) ने मुख्यमंत्री के नाम का एक ज्ञापन संस्था के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने ऊर्जा मंत्री डॉ बी डी कल्ला को देकर गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के ऊपर आए संकट से अवगत कराते हुए कहा है कि गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं द्वारा शिक्षा जैसे पुनीत पावन कार्य को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है। गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के सामाजिक सरोकार किसी से भी छुपे हुए नहीं हैं। सभी गैर सरकारी शिक्षण संस्थान नॉन प्रोफिटेबिएल होते हैं।

इन शिक्षण संस्थाओं को मिलने वाली फीस से ही ये संस्थाएं अपने समस्त खर्च का वहन करती हैं। स्टाफ का वेतन, शाला भवन का किराया, जल विद्युत के खर्च व अन्य आवश्यक सभी तरह के खर्च का आधार सिर्फ और सिर्फ फीस ही है। इस संकट काल में राज्य की हजारों स्कूलों पर विपदा आ गई है। ऐसे हालात में यदि राज्य सरकार तीन महीने की फीस माफ की घोषणा करती है तो राज्य की हजारों शिक्षण संस्थाएं बंद होने के कगार पर आ जाएंगी।
ज्ञापन में मांग की गई है कि आरटीई के अंतर्गत अध्ययनरत स्टूडेंट्स की सत्र 2019-20 की दोनों किश्तें, सत्र 2018-19 की दूसरी किस्त बकाया है। अनेक स्कूलों को सत्र 2017-18 का भी भुगतान नहीं हो सका है। साथ ही गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं में वार्षिक परीक्षाएं मार्च के अंतिम सप्ताह से अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक प्रतिवर्ष होती हैं और इस अवधि में लॉक डाऊन हो जाने के कारण परीक्षाएं शुरू ही नहीं हो सकी और फीस की प्राप्ति नहीं हो सकी। सर्वविदित है कि अधिकांश स्कूलों में वार्षिक परीक्षा के दौरान ही उनकी 40 से 50 प्रतिशत फीस जमा होती है।

इस कारण गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं की कमर टूट गई है और संकट बहुत अधिक गहरा गया है। फीस ही वित्तीय संसाधन का एक मात्र माध्यम है। गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं के सामाजिक व शैक्षिक योगदान को देखते हुए गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं को इस संकट से बचाने के लिए शीघ्र ही इन संस्थाओं के लिए राहत पैकेज की व्यवस्था कर उन्हें आर्थिक संकट से राहत दिलाने की मांग पैपा सोसाइटी ने पुरजोर तरीके से की है। साथ ही ज्ञापन में अवगत कराया गया है कि इन शिक्षण संस्थाओं के लिए विशेष अनुदान की व्यवस्था करने से भी इन संस्थाओं को काफी राहत मिलेगी।
ज्ञापन में सुझाव दिया गया है कि इन संस्थाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा बिना ब्याज ऋण की उपलब्धता कराने की योजना बनाकर उसे मूर्त रूप में क्रियान्वित करावें।
पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल ने बताया कि ज्ञापन में पुरजोर शब्दों में मांग की गई है कि मुख्यमंत्री सभी शिक्षाधिकारियों को पाबंद करावें कि बिना फीस जमा हुए किसी भी बच्चे की टी सी जारी करने के लिए उनके द्वारा किसी भी स्कूल के संचालक को परेशान व निर्देशित नहीं किया जाए तथा बगैर टीसी के प्रवेश नहीं लेने के लिए सभी सरकारी व गैरसरकारी शिक्षण संस्थाओं को भी सख्त निर्देश जारी कराने की व्यवस्था आगामी सत्र से पूर्ण सख्ती से लागू करावें। ज्ञापन में संस्था ने कोरोना वाइरस के संक्रमण से बचने के लिए राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे तमाम तरह की व्यवस्थाओं, आयामों व प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री पैपा की समस्त मांगों पर पूरी संवेदना के साथ विचार कर राज्य के इन स्वयंसेवी शिक्षादूतों को राहत के लिए सार्थक व्यवस्था शीघ्रतिशीघ्र की जाए।

सभी मांगों की पुरजोर पैरवी करेंगे डॉ कल्ला

ज्ञापन प्राप्ति के पश्चात ऊर्जा मंत्री डॉ कल्ला ने कहा कि राज्य सरकार राज्य के सभी नागरिकों , शैक्षणिक संस्थानों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों इत्यादि सभी के प्रति पूरी तरह से सजग, सचेष्ट और संवेदनशील होकर पूरी जिम्मेदारी के साथ कार्य कर रही है। प्रदेश के किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं हो, इस दिशा में सरकार सार्थक कदम उठा रही है। उन्होंने पैपा सोसाइटी के माध्यम से प्रदेश की सभी गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं को आश्वस्त किया है कि किसी भी संस्था के साथ अन्याय नहीं होगा और वे संस्था की सभी मांगों की पुरजोर पैरवी मुख्यमंत्री के समक्ष करेंगे।