जयपुर। शहर के प्रताप नगर सेक्टर 8 दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे आचार्य सौरभ सागर महाराज के चातुर्मास के दौरान, कलश स्थापना छठे दिन आचार्य सौरभ सागर ने अपने आशीर्वचन देते हुए कहा- कि संसार और मोक्ष में पांव और सिर का अंतर है। संसार में जीव पांव से बराबर होता है और मोक्ष में जीव सिर से बराबर होता है। सिर से बराबर होने के लिए गुरु से सम्बन्ध स्थापित किया जाता है। जिस प्रकार संतान की प्राप्ति के लिए शादी करना जरूरी है, मां बनने के लिए दुल्हन बनना आवश्यक है। उसी प्रकार मोक्ष जाने के लिए गुरु से सम्बन्ध बनाना आवश्यक है। गुरु बनाने का अर्थ होता है – मैने जगाने वाले को चुन लिया, मैने पाप मिटाने वाले को स्वीकार कर लिया है। लेकिन गुरु बनाने से पूर्व गुरु को कसौटी में कस लेना। गुरु कौन हो सकता है ? समझ लेना। तराजू घर का हो सकता है पर बाट घर का नहीं हो सकता है। परीक्षक कोई भी हो सकता है पर परीक्षा का मापदण्ड आगम ही होता है। गुरु वही हो सकता जो नग्न हो, केश-लोंच करता हो, शरीर श्रृंगार से रहित हो, ज्ञान, ध्यान, तप में लवलीन हो, चारों ओर से समता भाव पूर्वक सभी प्रकार के व्यवधानों को सहने की क्षमता रखता हो, अपनी आत्म शक्ति को जागृत करने, संघर्ष, उपसर्ग परिषहों को सहने की क्षमता रखता हो, वही गुरु हो सकता है।

-आचार्य सौरभ सागर ने कहा कि पंडित शास्त्र में डूबता है और गुरु आचरण में डूबता है। ज्ञान से गुरूता नही आचरण से गुरूता आती है। आचरणवान सर्वप्रथम जीवरक्षा हेतु पिच्छी ग्रहण करता है। पिच्छी पाप से भयभीत करती है। पिच्छी का कठोर भाग साधु के हाथ में होता है और मृदु भाग भक्त की ओर होता है। कारण मात्र इतना ही है कि साधु आचरण के प्रति कठोर और भक्तों के प्रति मृदु होता है। उनसे नाराज नहीं होता क्योंकि नाराज तो महाराज नही, महाराज तो नाराज नहीं। अभिशाप भी नही देता, अभिशाप देने वाला भीतर से हिंसा के परिणामों से भरा रहता है। इसलिए भगवान महावीर स्वामी ने सबसे पहले अहिंसा का उपकरण पिच्छी दिया है। जैन साधु मोर पंख की पिच्छी रखते है। यह पिच्छी जीवों को अभयदान देती है। इसलिए भारत सरकार ने मोर को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया है और मारने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मोर अंत तक रहेंगे और साधु भी काल के अंत तक रहेंगे।

प्रचार संयोजक सुनील साखुनियां ने बताया की रविवार को प्रातः 8.15 बजे से संत भवन में विशेष प्रवचन होगे। जिसमें प्रताप नगर, सांगानेर, टोंक रोड़, बापू नगर, बनीपार्क, मानसरोवर सहित देशभर के सैकड़ों श्रद्धालु भाग लेकर ज्ञान की गंगा का रसपान कर धर्मलाभ उठाएंगे।