आज हम ऐसे पत्रकार के बारे में जिक्र करेंगे जिन्होंने जमीन से उठकर स्वयं का अपना मुकाम बनाया। यह शख्स हैं बृजमोहन शर्मा जिन्हें अधिकांश लोग बी.एम. के नाम से जानते हैं। वर्ष 1977 में पत्रकार अशोक जोशी के संपर्क में आए जो कि साप्ताहिक नियोजन भारती का प्रकाशन जयपुर से करते थे। वर्ष 1978 में अलवर से प्रकाशित हो रहे अरानाद का स्वामित्व सुशील झालानी व अशोक शास्त्री से अशोक जोशी ने स्थानांतरित करा लिया। अशोक जोशी के साथ बी.एम. शर्मा ने भी अलवर जाकर अरानाद में कार्य शुरू किया, अरानाद का वर्ष 1984 में जयपुर संस्करण का प्रकाशन शुरू हुआ। जिसके संपादक बी.एम. शर्मा बने । जयपुर में संसार चंद्र रोड स्थित मुकंदगढ़ हाउस में छोटे से मकान को किराए पर लेकर प्रकाशन का शुभारंभ किया। अरानाद से कई पत्रकार देश व प्रदेश स्तर के समाचार पत्रों में पहुंचे। अलवर में पत्रकार जगदीश गोठडिय़ा ( अब रिटायर जनसंपर्क अधिकारी), भुवनेश जैन, राजेश रवि जैन आदि ने शुरू कर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। जयपुर संस्करण में सत्य पारिक, महेंद्र कुमार यादव व यश कुमार ने पत्रकार के रूप में कार्य किया। वर्ष 1988 में अरानाद प्रकाशक अशोक जोशी ने जयपुर संस्करण सहित सभी संस्करणों (अलवर, जयपुर, कोटा व पाली) को बंद करने का ऐलान कर दुविधा में डाल दिया। लेकिन बी एम शर्मा ने इस चुनौती को स्वीकार कर सांध्य ज्योति दर्पण दैनिक का जयपुर से प्रकाशन प्रारंभ किया ।

करीब एक साल संघर्ष करते हुए जयपुर के अलावा नागौर, अलवर व भरतपुर से सांध्य ज्योति दर्पण का प्रकाशन शुरू कर दिया। वर्ष 1989 में वर्तमान मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी से इनके आत्मीय संबंध रहे। जब भी बी.एम. शर्मा उनसे मिलते तो वह उनके सिर के बालों का सफेद गुच्छा देखकर बोलते ‘ बंधु तुम्हारे बाल प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी से मिलते हैं।’ वर्ष 1991 में उस समय की राज्य सरकार ने कुछ समाचार पत्र मालिकों के विरुद्ध जांच अभियान शुरू किया। शिक्षक, लेखक, पत्रकार बिशन सिंह शेखावत जिनके बी.एम. शर्मा शिष्य रहे थे, बीमारी के कारण सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती थे। उसी समय मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत व उनके बड़े भाई उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे, बिशन सिंह जी ने बी.एम. शर्मा पर हाथ रखकर कहा यह मेरा शिष्य है। इसका ध्यान रखना। संघर्ष करते हुए वर्ष 2003 में मालवीया नगर संस्थानिक क्षेत्र में राज्य सरकार से सांध्य ज्योति दर्पण के लिए जमीन का आवंटन करा लिया। 2009 में रीको से ऋण लेकर भूखंड का भवन निर्माण प्रारंभ कर वहां नई टैक्नॉलॉजी की कलर प्रिंटिंग मशीन लगा ली, सांध्य ज्योति दर्पण का रंगीन प्रकाशन होने लगा। रीको से लिया ऋण निश्चित समयावधि में चुकाकर एक रिकॉर्ड बनाया।

सांध्य ज्योति दर्पण मेें इनके नेतृत्व में कई पत्रकार तैयार हुए। जिनमें डी.सी. जैन, हर्ष खटाना, योगेंद्र शर्मा, वीरेंद्र मिश्रा, दीपक व्यास के अलावा अलवर से राकेश खण्डेलवाल, सतीश शर्मा सहित अनेक प्रमुख है। इस दरमियान सांध्य ज्योति दर्पण में सत्य पारिक, शक्ति सिंह, महेश झालानी, जगदीश शर्मा व यश कुमार जैसे पत्रकार जुड़े। अपनी साफ छवि और निष्पक्ष समाचारों के साथ पत्रकार जगत में सांध्य ज्योति दर्पण अपने पत्रकारों व कर्मचारियों को समय पर वेतन, बोनस देने में अग्रणीय रहा। कोविड-19 महामारी के दौरान जब देश के दिग्गज अखबारों ने कर्मचारियों की कटौती करके उनके वेतन व भत्ते भी घटा दिए, तब भी बी.एम. शर्मा जी ने बिना छंटनी किए सभी कर्मचारियों को पूरा वेतन दिया।
बी.एम. शर्मा पत्रकारिकता के अलावा सामाजिक व धार्मिक क्षेत्रों से भी जुड़े हुए हैं। जहां वे तन-मन से सेवा करते आ रहे हैं। दिल्ली बाईपास रोड स्थित श्री खोले के हनुमान मंदिर से पिछले 40 साल से जुड़े हुए हैं। मंदिर के संस्थापक ब्रह्मलीन पं. राधेलाल चौबे की इन पर विशेष कृपा रही। वर्तमान में चौथी बार मंदिर ट्रस्ट में महामंत्री पद पर कार्यरत है। चौबेजी के ब्रह्मलीन होने के बाद अधिकांश समय मंदिर की सेवा में ही व्यतीत करते हैं। । ( बृज मोहन शर्मा जी स्वास्थ्य रहे दिर्घायु रहे । इसी कामना के साथ ।)

– कई पत्रकार निखरे

दैनिक सांध्य ज्योति दर्पण अलवर कार्यालय की टीनशेड के नीचे तपकर कई पत्रकार निखरे । अलवर कार्यालय शहर के मुख्य बाजार केडलगंज में है। आफिस पूरी तरह से टीन शेड से ढका हुआ है ।और गर्मियों में दिन के समय बैठना बहुत मुश्किल होता है। इस टीनशेड के नीचे तपकर कई पत्रकारों ने अपनी पहचान बनाई है। यहां राजेश रवि जैन के बाद हरप्रकाश मुंजाल संपादक रहे। इसके बाद सी.पी. सैनी ने संपादक के रूप में काम संभाला। वर्तमान में राकेश खंडेलवाल प्रबंधन संपादक व सतीश शर्मा ब्यूरो चीफ, अनिल अग्रवाल लक्ष्मणगढ़ जिला संवाददाता कार्य बखूबी कर रहे हैं। इस टीन शेड के नीचे चंद्रशेखर शर्मा, अध्यक्ष श्रमजीवी पत्रकार संघ, मनोज मुदगल *अब -भास्कर,) राजेश शर्मा ( खबरों की दुनिया) , शयम सोमवंशी , चंद्रकांत महेन्दिरत्ता, हितेश मेहंदीरता ने कुछ समय ने अपना कार्यकाल पूरा किया। अंत मे दो ऐसे व्यक्तियों का उल्लेख करना चाहता हूं, जिनमे एक व्यक्ति शंकर लाल सैनी जिन्हें सब जीएम के नाम से पुकारते थे जो पूरे कार्यलय की जम्मेदारी सम्भलते थे अब वो इस दुनिया मे नही रहे । उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि और एक हैं फडू उर्फ कालू जो सहायक कर्मचारी के साथ अखबार वितरक भी हैं । ये भी बहुत मेहनती है । बाकी समय मे शयम काफी हाउस में काम करते हैं । ये भी अखबार के स्तम्भ हैं ।

प्रस्तुत कर्ता : हरप्रकाश मुंजाल, अलवर