बीकानेर,। प्रदेश का पहला दो दिवसीय वर्चुअल किसान मेला मंगलवार को शुरू हुआ। मेले के लिए 9 राज्यों के लगभग ढाई हजार किसानों ने पंजीकरण करवाया। इसे विश्वविद्यालय के सभी सोशल मीडिया प्लेटफाॅम्र्स पर प्रसारित किया गया। वहीं विश्वविद्यालय के सातों कृषि विज्ञान केन्द्रों पर किसानों ने कोविड एडवाइजरी की पालना के साथ इसे देखा।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (प्रसार शिक्षा) प्रो. ए. के. सिंह थे। उन्होंने कहा कि प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन से ही देश में दूसरी कृषि क्रांति आएगी। केन्द्र सरकार द्वारा भी इसे लेकर गंभीर है। सरकार द्वारा देशभर में 1 लाख माइक्रो प्रोसेसिंग इकाईयां स्थापित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि किसानों को चाहिए कि वे कृषक उत्पादक संघ बनाकर इसके माध्यम से खेती और व्यापार करें। इससे उन्हें अधिक मुनाफा होगा।
प्रो. सिंह ने कहा कि गांवों से शहरों की पलायन कर रहे युवा एक बार फिर कृषि की ओर लौटें। कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केन्द्रों से तकनीकी ज्ञान हासिल करें तथा इनका लाभ उठाएं। किसानों के अथक प्रयासों से उत्पादन में वृद्धि हुई है, लेकिन इनका रखरखाव आज भी चुनौती है। अधिक उत्पादन होने के कारण उनका उचित भाव भी नहीं मिल पाता। ऐसे में भी प्रसंस्करण की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
उन्होंने कृषि के साथ पशुपालन पर भी जोर दिया तथा कहा कि किसान कम पानी वाली फसलें लें। नई तकनीकें अपनाएं। खेती को व्यावसायिक दृष्टिकोण से देखने की उन्होंने जरूरत बताई। कोरोना संक्रमण काल के दौरान विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयासों को सराहा तथा कहा कि ऐसे प्रयास सतत तरीके से हों, जिससे किसानों को लाभ मिल सके।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने कहा कि किसान, देश की अर्थव्यवस्था की धुरी हैं। किसान सशक्त और समृद्ध होंगे तो देश सम्पन्न हो सकेगा। इसके मद्देनजर कृषि विश्वविद्यालय द्वारा सतत प्रयास किए जा रहे हैं। किसानों का वर्चुअल मेला इसी श्रृंखला की कड़ी है। इसके माध्यम से किसानों को घर बैठे विशेषज्ञों का मार्गदर्शन मिलेगा। कुलपति ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र, किसानों के मार्गदर्शन के लिए कार्यरत हैं। किसानों को चाहिए कि वे इन केन्द्रों पर कार्यरत वैज्ञानिकों के नियमित संपर्क में रहें तथा इनके अनुभव का लाभ लें।
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में प्रदेश का पहला वर्चुअल दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। अब विश्वविद्यालय को ही पहला वर्चुअल किसान मेला आयोजित करने का अवसर मिला है। मेले के दौरान दो दिनों में विभिन्न तकनीकी सत्र होंगे। जिनके माध्यम से किसानों को अलग-अलग विषयों की जानकारी मिल सकेगी। वहीं किसान गोष्ठी में किसानों के प्रश्नों के जवाब दिए जाएंगे। इसके लिए विश्वविद्यालय के सात विषय विशेषज्ञों का पैनल बनाया गया है।
विशिष्ठ अतिथि के रूप में बोलते हुए अटारी-जोधपुर के निदेशक प्रो. एस. के. सिंह ने कहा कि समय के साथ कृषि के तरीकों में बदलाव आया है। किसानों को इन्हें समझना होगा। पशुपालन के साथ उद्यानिकी को अपनाने पर भी उन्होंने जोर दिया तथा कहा कि राजस्थान में बाजरा, सरसों, जीरा, मेहंदी, ईसबगोल, सौंफ जैसी फसलों की खेती बहुतायत में होती है। किन्नू, खजूर और बेर उत्पादन क्षेत्र में भी इजाफा हुआ है। इससे किसानों का लाभ बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश भर में 700 से अधिक कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं। यह केन्द्र किसानांे को तकनीकी ज्ञान पहुंचाने का कार्य करते हैं। कोरोना आपदा के दौर में प्रत्येक केन्द्र द्वारा औसतन 10 से 12 हजार किसानों तक आॅनलाइन पहुंच बनाई गई है। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित मेला भी ऐसा ही एक प्रयास है।
नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय के मुख्य महाप्रबंधक जयदीप श्रीवास्तव ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में सबकुछ रुका लेकिन खेती की गतिविधियां इस दौरान भी प्रभावित नहीं हुई। इस दौरान कृषि क्षेत्र से जुड़े संस्थानों ने भी सतत प्रयास किए। किसानों को इनका लाभ हुआ। हमें ऐसे प्रयास सतत रूप से करने की जरूरत है। उन्होंने नाबार्ड द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में भी बताया।
विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक तथा वर्चुअल मेला प्रभारी डाॅ. एस. के. शर्मा ने बताया कि दो दिवसीय मेले को किसानों के लिए अधिक से अधिक उपयोग बनाने के प्रयास किए गए। उन्होंने दो दिवसीय मेले के दौरान होने वाले विभिन्न सत्रों की जानकारी दी तथा विश्वविद्यालय की वेबसाइट एवं इस पर अपलोड किए गए वीडियो के बारे में बताया। प्रसार शिक्षा निदेशालय के उपनिदेशक डाॅ. राजेश वर्मा ने आभार जताया। संचालन डाॅ. सुशील कुमार एवं विवेक व्यास ने किया।पहले दिन के तकनीकी सत्रों में नमी संरक्षण एवं फसल उत्पादन विषय पर अनुसंधान निदेशक डाॅ. पी. एस. शेखावत त्था उन्नत पशुपालन विषय पर पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के डाॅ. त्रिभुवन शर्मा ने अपनी बात रखी। विश्वविद्यालय द्वारा कुलपति सचिवालय, प्रसार शिक्षा निदेशालय, गृह विज्ञान महाविद्यालय के अलावा छह जिलों के सात कृषि विज्ञान केन्द्रों में मेले को लाइव देखने की व्यवस्था की गई।
विशेषाधिकारी इंजी. विपिन लढ्ढा ने बताया कि मेले के दूसरे दिन चैधरी चरण सिंह जयंती के अवसर पर दोपहर 12 बजे से किसान दिवस समारोह आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से प्रकाशित कृषि कलैण्डर-2021, मेले की ई-स्मारिका तथा चोखी खेती के नए अंक का ई-विमोचन किया जाएगा। इसके बाद पाॅलिहाउस में टमाटर और खीरा उत्पादन की वैज्ञानिक तकनीक, कृषि उद्यमी के लिए चुनौतियां और संभावनाएं, रबी फसलों के प्रमुख कीट एवं समन्वित कीट प्रबंधन तथा फसलों की प्रमुख व्याधियां एवं समन्वित रोग प्रबंधन विषय पर देश के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ अपनी बात रखेंगे। मेले का समापन दोपहर 3ः10 बजे होगा।