

-पंजाब के बाद अब राजस्थान में भी 3-4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाएंगे
– हरीश गुप्ता
जयपुर। पंजाब फार्मूले के बाद राज्य में भी शीघ्र संगठन को मजबूती देने के लिए 3-4 कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाएंगे। दिल्ली में इस बात के लिए गहरा मंथन चल रहा है। उधर पायलट समर्थकों की भी उम्मीदें जागने लग गई है।
गौरतलब है हमने 3 जुलाई के अंक में ‘कांग्रेस में अब तीन कार्यकारी अध्यक्ष’ के शीर्षक से समाचार प्रमुखता से प्रकाशित किया था। समाचार में बताया गया था कि पंजाब, राजस्थान सहित देश के कुछ राज्यों में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने तथा सभी समाज को पार्टी से जोड़ने के लिए यह फार्मूला लाया जाएगा।


गौरतलब यह भी है कि हमारी खबर पर मुहर लगाते हुए पार्टी ने पंजाब में चार कार्यकारी अध्यक्ष बना दिए। इनमें संगत सिंह गिल्जियान, सुखविंदर सिंह डैनी, पवन गोयल और कुलजीत सिंह नागरा है। इसके साथ ही नवजोत सिंह सिद्धू को पीसीसी चीफ बनाया गया है। इस फार्मूले के बाद पंजाब में सत्ता व संगठन में चल रहा विवाद थमता है या नहीं यह समय बताएगा।
सूत्रों की मानें तो राजस्थान में भी शीघ्र यह फार्मूला अपनाया जा सकता है। पिछले दिनों पार्टी प्रभारी अजय माकन की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हुई मुलाकात को कांग्रेसी कई मायनों में ले रहे हैं। ‘मर्ज’ यहां का भी पंजाब जैसा ही है, इसलिए भी हो सकता है कई कार्यकारी अध्यक्ष वाली ‘वैक्सीन’ यहां भी काम कर जाए।


सूत्रों की मानें यह ‘वैक्सीन’ चाहे पंजाब में इस्तेमाल की गई हो, लेकिन पायलट समर्थकों में एक बार को ‘जान’ आ गई। मतलब ‘वैक्सीन’ से पहले ही ‘साइड इफेक्ट’। वे भूल रहे हैं कि यहां कैप्टन नहीं ‘जादूगर’ है। इन लोगों के गुडगांव प्रवास के दौरान ‘जादूगर’ ‘काला जादू’ दिखा चुके हैं। अब उन्हें ‘काला जादू’ दिखाने की जरूरत नहीं, छोटे मोटे जादू से ही काम चल जाएगा।
सूत्रों की मानें तो यह यह फार्मूला लागू होता है (जिसकी पूरी संभावना है), पायलट समर्थकों को बहुत कुछ हासिल होने वाला नहीं है। 1-2 नाम तो पहले से ही क्लियर है, जो कि हमने 3 जुलाई के अंक में ही बता दिए थे। संभवतः पायलट समर्थकों में से किसी को इस फार्मूले का लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा। अब देखना है यह फार्मूला प्रदेश में कब लागू होता है?
