_त्योहारों पर बढ़ेगी खपत, ऐसे में दूध की किल्लत संभव


जयपुर।तेजी से फैलते लंपी रोग का असर दूध उत्पादन पर नजर आने लगा है। प्रदेश में चार लाख लीटर प्रतिदिन दूध संग्रहण में कमी दर्ज की गई है। प्रदेश के राजस्थान सहकारी डेयरी महासंघ (आरसीडीएफ) ने इसकी पुष्टि की है। हालांकि अभी यह कमी मांग और उत्पादन की तुलना में बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन आगे त्योहारी सीजन को देखते हुए प्रदेश में दूध संकट बढ़ सकता है। लंपी त्वचा संबंधी बीमारी है लेकिन इसका असर पशुओं के दूध उत्पादन पर पड़ता है।
प्रदेश में अभी 32 जिलों में यह रोग दस्तक दे चुका है। वहीं, दूसरी आम उपभोक्ताओं में दूध सप्लाई करने वाली डेयरी सहकारी समिति अमूल और सरस ने अपने दूध के दामों में दो रुपए प्रति लीटर का भी इजाफा किया है। सामान्यता डेयरी दाम गर्मियों में प्राकृतिक रूप से पशुओं में दूध का (Lumpy Virus) उत्पादन कम होने पर बढ़ाती है।आरसीडीएफ की प्रशासक और प्रबंध निदेशक सुषमा अरोड़ा ने बताया कि राज्य में लंपी चर्म रोग शुरू होने के बाद से दूध संग्रह में तीन से चार लाख लीटर प्रतिदिन की कमी आई है। यह 32 से 33 लाख लीटर प्रतिदिन होता, लेकिन वर्तमान में 29 लाख लीटर प्रतिदिन है। हालांकि, यह मांग-आपूर्ति अनुपात पर कोई असर नहीं पड़ा है, क्योंकि हमने अप्रैल से दूध संग्रह बढ़ाने के लिए काफी प्रयास किए हैं। अरोड़ा ने यह भी दावा कि दूध और घी की कीमत में हालिया वृद्धि का लंपी रोग से कोई संबंध नहीं है, लेकिन आरसीडीएफ को समर्थन मूल्य बढ़ाना पड़ा, ताकि किसानों को डेयरी मंचों पर अपने संग्रह को बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
_मांग बढ़ने पर दाम में इजाफा संभव
सितंबर और अक्टूबर माह में प्रमुख त्योहार दीपावली, दशहरा, नवरात्रा होने के कारण मिठाइयों की डिमांड बढ़ेगी। ज्यादातर मिठाइयां दूध से ही बनाई जाती है। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि त्योहार के समय में दूध की ज्यादा कमी देखने को मिल सकती है। वहीं दूध से बनी मिठाइयों के दाम में भी इजाफा हो सकता है। ऐसे में दूध की यह कमी त्योहारों का मजा किरकिरा कर सकती है।
_प्रदेश में आठ लाख किसान डेयरी में देते हैं दूध
राज्य में करीब 8 लाख किसान हैं जो लगभग 17,500 डेयरी सहकारी मंचों (DCF) पर दूध बेचते हैं और आरसीडीएफ द्वारा नियंत्रित लगभग 24 दुग्ध संघ हैं। राजस्थान में पशुओं में लम्पी चर्म रोग सबसे पहले जुलाई के अंत में सामने आया था, जो धीरे-धीरे राज्य के विभिन्न जिलों में फैल गया, जिससे हजारों मवेशियों की मौत हो गई। राजस्थान पशुपालन विभाग के अनुसार, 10 सितंबर तक 11,08,433 पशु इस बीमारी से प्रभावित हुए हैं और 49,057 पशुओं की मौत हो चुकी है।