-अब जाकर सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों पर लगाम लगाने का मानस बनाया
-पहले चरण में 5 विश्वविद्यालयों की डिग्रियों की होने जा रही जांच

जयपुर(हरीश गुप्ता )। राज्य में कुछ एक निजी विश्वविद्यालय इतने बेलगाम हो गए है कि फर्जी डिग्रियों का अंबार लग गया। शुक्र है राजस्थान सरकार का, जिसने ऐसे विश्वविद्यालय की आज तक सभी डिग्रियों की एडमिशन से लेकर परीक्षा तक की जांच करने की तैयारी कर ली है। प्रथम चरण में 9 निजी विश्वविद्यालय की जांच शुरू होने जा रही है।
गौरतलब है शिक्षा माफियाओं के खिलाफ हमने पहले भी कई बार लिखा है। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी ने 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग बनाए जाने की घोषणा की थी। वह अलग बात है कि आयोग आज तक नहीं बन पाया, जिसका नतीजा रहा कि निजी विश्वविद्यालय बेलगाम हो गए।
सूत्रों की मानें तो कुछ एक निजी विश्वविद्यालय के बारे में पैसे लेकर फर्जी डिग्री बांटे जाने की शिकायतें लगातार सरकार के पास आ रही थी। सरकार की एक विंग इस पर गहनता से अध्ययन कर रही थी और जानकारी जुटा रही थी। काफी कुछ सबूत इकट्ठे करने के बाद हाल ही में सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों की डिग्रियों की जांच करवाने की तैयारी कर ली है। पहले चरण में अजमेर की भगवंत, सिरोही की माधव और जयपुर की तीन निजी विश्वविद्यालयों की डिग्रियों की जांच के आदेश कर दिए गए हैं।
सूत्रों की मानें तो जांच का जिम्मा किसी शिक्षाविद्, उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज या पुलिस अधिकारी की देखरेख में टीम बनाकर करने पर विचार चल रहा है। यूं तो इन 5 विश्वविद्यालयों के बाद जांच कमेटी राज्य की सभी 54 निजी विश्वविद्यालयों की व्यापक जांच करेगी, जिसमें यूजीसी नियमों के अनुरूप बच्चों के अनुपात में फैकल्टी, फैकल्टी की योग्यता, फैकल्टी पर वर्क लोड, फिजिकल वेरीफिकेशन ( कि फैकल्टी है या सिर्फ कागजों में है) शामिल है।
अंधेरगर्दी की हद :
निजी विश्वविद्यालयों अंधेर गर्दी की हदें ही पार कर रखी है।राजधानी की एक नामी यूनिवर्सिटी, जिसका मेडिकल भी चलता है, ने ऐसा कमाल कर दिया जो संभव ही नहीं था। दरअसल एक प्रभावशाली व्यक्ति को पत्रकारिता में पीएचडी करवा दी। पीएचडी करवाने वाला विश्वविद्यालय का गाइड राजनीतिक विज्ञान विषय से था। यूजीसी के नियमों को देखे तो पीएचडी की डिग्री फर्ज़ी है, चाहे नाम के आगे डॉक्टर लग गया, वह अलग बात है।
पूर्व में भी कमेटी :
पिछली वसुंधरा सरकार के समय विधानसभा में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियों का मामला गूंजा था। जिस पर स्वर्गीय किरण महेश्वरी की मौजूदगी में कमेटी बनी थी। कमेटी ने माना था कि जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, सनराइज व सिंघानिया समेत 9 विश्वविद्यालयों ने फर्जी डिग्रियां बांटी हैं। बाद में उस रिपोर्ट पर लीपापोती कर दी गई। मामला पूरी तरह से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। कार्रवाई होती तो उन नौ यूनिवर्सिटी के ताले लग गए होते।
झांसी में ना आए :
अब जिस हिसाब से सख्ती के रूख पर सरकार आने जा रही है, उस हिसाब से बच्चों व उनके अभिभावकों को भी निजी विश्वविद्यालय में दाखिले से पहले ध्यान देना होगा कि जिस विश्वविद्यालय में दाखिला लेने जा रहे हैं, अगर वह 9 साल पुरानी है तो नेक करवा रखा है या नहीं। नेक नहीं हो, तो डिग्री किसी काम की नहीं है। दूसरा फीस ऑनलाइन जमा होना जरूरी है। परीक्षा से कुछ दिनों पहले फीस लेकर रसीद प्राप्त करना कानून वैध नहीं है।