-बिडला ने समाज को आगामी विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रतिनिधित्व देने का किया वादा
-कुमावत समाज ने लगभग 3 लाख का संख्याबल जुटा भरी राजनीतिक हुंकार

जयपुर। विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित कुमावत महापंचायत में प्रदेशभर से लाखों की संख्या में कुमावत समाज के लोग एकत्रित हो इस महापंचायत को भव्य, विशाल और अद्वितीय बना दिया। स्टेडियम में राजस्थान के समस्त जिलों से समाज बन्धुओं ने शिरकत की। मातृशक्ति, युवाओं और बुजुर्गाें ने इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले इसे ऐतिहासिक बना दिया।
राजस्थान में चुनावी वर्ष के चलते क्षत्रिय कुमावत समाज ने शक्ति प्रदर्शन कर अपनी मांगों को राजनीतिक पार्टियों के समक्ष प्रमुखता से रखा। कुमावत समाज की ओबीसी आरक्षण को 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर उसके वर्गीकरण की मुख्य मांग सहित कई मांगें हैं, जिन्हें केन्द्र एवं राज्य सरकार के सामने रखा गया। कुमावत महापंचायत में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला मुख्य अतिथि रहे। मंचासीन पदाधिकारियों ने बिडला का स्वागत कर प्रतीक चिह्न भेंट किया। कुमावत महापंचायत कोर कमेटी के सदस्य ताराचंद सिरोहिया, छोटूराम बड़ीवाल एवं विधायक निर्मल कुमावत, युवा नेता दीनदयाल कुमावत ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सभा को संबोधित करते हुए पीसीसी सचिव मुकेश वर्मा तथा एआईसीसी सदस्य एवं पीसीसी मुख्यालय प्रभारी ललित तुनवाल, कैलाश कुमावत, माटी कला एवं शिल्प कला बोर्ड के सदस्य एवं पूर्व सांगानेर प्रधान गौरीशंकर मारवाल, मधुसूदन रतिवाल, नानूराम कुमावत पूर्व विधायक आसींद आदि नेताओं ने बिडला के समक्ष समाज की मांगों को पुरजोर तरीके से रखा। इस अवसर पर भींवाराम, पन्नालाल एवं अन्य भामाशाहों ने कुमावत समाज के लिए इस आयोजन को सफल बनाने के लिए अपना योगदान दिया।
ओम बिडला ने कहा ‘कुमावत समाज स्थापत्य कला का पुजारी।’ जयपुर में कुमावत समाज की महापंचायत में सम्मिलित होने का सुअवसर मिला। भारत तथा राजस्थान की वैभवशाली कला व संस्कृति को सहेजने तथा और समृद्ध बनाने में समाजबंधुओं का अतुलनीय योगदान है। उनकी सृजनात्मकता का ही परिणाम है कि देश-विदेश से पर्यटक यहां का शिल्प और मूर्ति कला देखने आते हैं। बदलते समय के साथ समाज अब अपनी गौरवशाली विरासत को संरक्षित करते हुए आधुनिक तकनीक का भी समावेश करे। सामाजिक-राजनैतिक रूप से आगे बढ़ने के लिए कुमावत समाज ग्रामीण क्षेत्रों तक भावी पीढ़ी विशेषतः बेटियों में शिक्षा और संस्कारों को बढ़ावा दे। इस तरह के आयोजनों में बुनियादी विषयों पर चर्चा के साथ समाज के अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए सामुहिकता से कार्ययोजना बनाई जाए। सार्थक और सकारात्मक सामूहिक निर्णयों से समाज आगे बढ़ेंगे तो निश्चित तौर पर देश भी नई ऊंचाइयों को छुएगा।
कोर कमेटी के सदस्यों ने बताया कि प्रदेश में करीब 15 विधानसभा क्षेत्रों में कुमावत समाज का बाहुल्य जहां 25 से 70 हजार मतदाता है। वहीं करीब 65 विधानसभा क्षेत्रों में यह संख्या 10 से 25 हजार की तादात में है जो किसी की भी राजनीतिक गणित को गलत और सही करने का माद्दा रखते हैं। इसलिए उसी मुताबिक कुमावत समाज को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
कुमावत समाज की प्रमुख मांगेंः- कुमावत समाज की प्रमुख मांगों में दोनों राजनीतिक पार्टियां भाजपा और कांग्रेस कुमावत समाजबन्धुओं को विधानसभा चुनाव में 10-10 टिकिट तथा लोकसभा चुनाव में 2-2 टिकिट देवे। इसके साथ ही ओबीसी आरक्षण को 21 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने, समाज के छात्रावासों के लिए निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराने, कुमावत समाज के भवन निर्माण एवं वास्तु के कार्य से जुड़े कारीगरों के लिए शिल्पकार उत्थान के लिए स्थापत्य कला बोर्ड बनाने व उसके अधीन स्थापत्य कला यूनिवर्सिटी का गठन करे जिससे रोजगार के अवसर मिले, प्रदेश की धरोहरों, स्मारकों पर इनके कुमावत वास्तुकारों के नाम लिखकर इन्हें सम्मान देने, जातिगत आधार पर जनगणना की जाने एवं शिल्पकला के नाम से डाक टिकट जारी करने की मुख्य मांग की है।
कार्यक्रम के अन्त में कुमावत महापंचायत कोर कमेटी के सदस्यों ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए महापंचायत में पधारे हुए सभी समाज बन्धुओं को, पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं तथा कुमावत समाज की विभिन्न संस्थाओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।