– बंद होगा अनाथालय, वृद्धाश्रम, विधवाश्रम, बालसुधारगृह इत्यादि के नाम पर चलने वाला गोरखधंधा

– न्यायधर्मसभा का प्रस्ताव नंबर 49- न्यायशील आश्रय योजना

आगरा । भारत में विभिन्न मंदिरो में हर साल दान-दक्षिणा से अथाह कमाई होती है जो भारत के सालाना राष्ट्रीय बजट से कई गुना अधिक है।न्यायशील राष्ट्र में इसके सदुपयोग का उपाय श्री अरविंद अंकुर जी ने बताया कि चारित्रिक स्वतंत्रता ही न्याय का प्रमुख्य लक्षण है। किसी भी व्यक्ति समूह सम्प्रदाय देश के निजी मामलो को कोई कानून कैसे प्रतिबंधित कर सकता है ।

मंदिर या अन्य किसी भी धर्म स्थान पर दान-दक्षिणा देना ब्यक्तिगत मामला है, उसे कानूनी दायरे में नहीं लाया जा सकता है।

हाँ उपार्जित धन का सदुपयोग हो इसका दुरूपयोग न होने पाये इसका प्रयत्न जरूर होना चाहिए।

मंदिरो की कमाई को बंद नहीं ब्यवस्थित करने की आवश्यकता है ।

न्यायधर्मसभा द्वारा इसके लिए बहुत ही रोचक एवम् उपयोगी न्यायप्रस्ताव सरकारको भेजा गया है।

आश्रय योजना का न्यायप्रस्ताव एक ऐसा प्रस्ताव है, जिसके लागू होते ही किसी भी राष्ट्र में कोई भी असमर्थ व्यक्ति असहाय या मजबूर नहीं रहेगा। कोई भी मंदिरो, मस्जिदों या अन्यधर्मस्थानों के बाहर भीख मंगाते नहीं दिखेगा।

कोई भी वयस्क नागरिक जिंदगी के लिए दर-दर की ठोकर खाते हुए नहीं दिखेगा।

यह एक अद्भुत प्रस्ताव है जो समाज के कई विकट समस्याओं का तुरंत समाधान करता है।

क्या है असमर्थो के लिए न्यायधर्मसभा की आश्रय योजना का न्यायप्रस्ताव ?

इस प्रस्ताव के तहत राष्ट्र के सभी ईश्वरीय अथवा दिव्य संस्थाओं को संवैधानिक दायरे में लाकर वहाँ पर होने वाली आर्थिक आय के 75 प्रतिशत भाग से एक शेल्टरफंड का निर्माण किया जायेगा।

शेष 25 प्रतिशत भाग को उक्त दिव्यसंस्था की देख-रेख के लिए छोड़ दिया जायेगा।

इस 75 प्रतिशत धनराशि से एक आश्रयकोष स्थापित करके एक आश्रययोजना डेवलप करी जायेगी। जहाँपर असमर्थ, अपाहिज, 25 साल तक के अनाथ बच्चे एवम् वयस्क असमर्थ भिखारी आदि लोगो को आश्रय देकर उनके आवास, भोजन, कपड़े, शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा, मनोरंजन इत्यादि सभी सुविधाएं एवम् सुरक्षा मुहैया करायी जाएंगी।

इस योजना के तहत एक तरफ जहाँ असहायों-असमर्थो का जीवन सुब्यवस्थित हो जाएगा वहीँ लाखों लोगो की रोजगार भी सुलभ हो पायेगा।

इस योजना शुरू होने के बाद किसी भी धर्मस्थान, रेलवेस्टेशन, बसअड्डा, लालबत्ती या अन्य किसी भी स्थान पर कोई भी भिखारी नहीं दिखेगा।

बंद होगा बच्चों से भीख मंगवाने का धंधा।

बंद होगी पंडो-पुजारियों की मनमानी।

बंद होगा अनाथालय, वृद्धाश्रम, विधवाश्रम, बालसुधारगृह इत्यादि के नाम पर चलने वाला गोरखधंधा।

तथा राष्ट्र में एक सुसभ्य वातावरण उत्पन्न होगा ।

इस न्यायशील आश्रययोजना को सामाजिक तलपर भी किया जा सकता है। कोई भी सामाजिक संस्था समाज के सभी दिव्यसंस्थानो से संपर्क करके उनको 75 प्रतिशत तक अंशदान के लिए सहमत करके इस करुणामयी पुण्यात्मक आश्रय योजना को सफल बना सकती है। राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी चन्द्रसेन शर्मा जी बताया कि वास्तव में राष्ट्र को न्यायशील बनाने के लिए केंद्रसरकार को न्यायधर्मसभा के सभी 111 न्यायप्रस्ताव लागू बिना समय गँवाये लागू कर देना चाहिए ।अन्यथा जनता के समर्थन द्वारा न्यायधर्मसभा सत्ता में आकर पहले ही दिन न्यायप्रस्तावों को लागू करेगी । जनता को चारों जनाधिकार निःशुल्क शिक्षा,निःशुल्क रोजगार, निःशुल्क आवासीय सुविधाएं तथा निःशुल्क बीमा,बैंकिंग,चिकित्सा, पेंशन,सुरक्षा आदि संरक्षण देना सरकार का मौलिक कर्तव्य है । आश्रय योजना का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा हुआ है ।