आगामी बजट जल्द ही आने वाला है | कुछ में टेक्स कम करने -कुछ में बढ़ाने से बजट की खाना पूर्ति नहीं है | जरुरत है इस बजट को ऐसा सृजन करने की कि रोजगार के अवसर बढे | इस समय बेरोजगारी बढ़ती जा रही है और रोजगार के अवसर घटते जा रहे है |रोजगार में कमी से अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास दर और रोजगार दर में हमेशा असंतुलन रहा है। आर्थिक सुधार की विसंगतियों और सरकारी मशीनरी के लुंज-पुंज रवैये का परिणाम है बेरोजगारी। आर्थिक नव उदारवाद के नाम पर औद्योगिक घरानों के हित साधकर और निजीकरण को बढ़ावा देकर लघु और कुटीर उद्योगों पर कुठाराघात किया गया है, इससे सभी क्षेत्रों में रोजगार का भयावह संकट पैदा हुआ है। रोजगार सृजन आज देश की सबसे बड़ी चुनौती है। इस बजट में सरकार का पूरा ध्यान आर्थिक सुस्ती को दूर करने पर होगा। आर्थिक सुस्ती दूर होने के लिए मांग बढ़नी चाहिए और मांग तभी बढ़ेगी जब युवाओं के पास रोजगार होगा। विश्वभर में भारत में सबसे अधिक युवा जनसंख्या है। देश में चुनाव जीतने का मूलमंत्र है युवाओं का दिल जीतना और युवाओं का दिल उन्हें रोजगार प्रदान करके ही जीता जा सकता है। हमारे देश में अभी तक सेवा क्षेत्र पर ही अधिक जोर दिया जाता रहा है।
केंद्र सरकार विभिन्न क्षेत्रों में 102 लाख करोड़ रुपये की आधारभूत परियोजनाओं को ला रही है, इससे नए रोजगार सृजित होंगे। सिर्फ निजी निवेश को बढ़ावा देने से ख़ास नतीजे नहीं दिखेंगे, इसके लिए निजी क्षेत्र के साथ सार्वजनिक क्षेत्र को भी बढ़ावा देना होगा। विदेशी बाजारों पर भी फोकस करके रोजगार सृजन में बढ़ोतरी की जा सकती है। बजट में विकास की योजनाओं और देश के बेरोजगार युवाओं के हितों को ध्यान में रखकर ठोस योजनाओं का ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए, तभी हमारे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और रोजगार सृजन की चुनौती से निपट सकेंगे।
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