नई दिल्ली । गैंगस्टर नासिर के करीबी चौधरी अली हैदर की हत्या में हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। दिल्ली पुलिस की जांच में यह पता चला है कि बृहस्पतिवार को जिस दौरान बदमाशों ने हैदर को 40 गोलियां मार कर मौत के घाट उतारा, उस समय पड़ोसी सोच रहे थे कि हो सकता है कोई पटाखे फोड़ रहा हो। पड़ोसियों को गोलियों की आवाज पटाखों जैसी लगी, क्योंकि कोई सोच भी नहीं सकता था कि लॉकडाउन जैसी स्थिति में भी इस तरह फायरिंग कर किसी की हत्या की जा सकती है।
… तो बदमाश आसानी से पहचान में आज जाते
कैमरों के नीचे ही बदमाशों ने हैदर को करीब 40 गोलियां मारी। जिस वक्त बदमाश गोलियां बरसा रहे थे, लोगों को लग रहा था कि कोई पटाखे फोड़ रहा है। वारदात वाले वाले स्थल से 800 मीटर की दूरी में 10 से ज्यादा कैमरे लगे हुए हैं लेकिन सब बंद हैं। यही वजह है कि पुलिस को कोई सुराग नहीं मिला। अब इलाके के लोग अफसोस जता रहे हैं कि कैमरे के तार जुड़े होते तो बदमाश पहचान में आ जाते।
बुरे काम का बुरा नतीजा होता है, यह कहावत फिर से सही साबित हुई। उत्तरी पूर्वी जिले में गत फरवरी में जाफराबाद रोड पर सीएए और एनआरसी को लेकर दंगे भड़के, इन दंगों की चिंगारी में पूरा जिला झुलस उठा। दंगों के बाद पुलिस सीसीटीवी फुटेज निकाल कर पकड़ न लें, ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घरों के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों के तार काट दिए। किसी ने कैमरे ही उतार कर रख लिए।
बृहस्पतिवार रात सुभाष मोहल्ले में जिस जगह गैंगस्टर नासिर के करीबी चौधरी अली हैदर को बदमाशों ने गोलियों से छलनी किया, वहां भी 4 सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। जब पुलिस फुटेज लेने पहुंची तो देखा कैमरों के तार निकले हुए हैं। जिस जगह हैदर रहता था, वहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि नूर ए इलाही रोड भी दंगों में जला था। कई लोगों की मौत हुई थी।
दंगों के दौरान लोगों में उस वक्त इतनी दहशत थी सरकार की ओर से जिन घरों पर नि:शुल्क कैमरे लगाए गए थे, उनके तार भी लोगों ने काट दिए थे। आरोप है उस वक्त हैदर ने भी कैमरों के तार कटवाए थे। पुलिस सूत्रों का कहना है कि हैदर की हत्या करने वाले बदमाश इस बात को जानते थे कि इलाके में लगे सभी कैमरों के तार कटे हुए हैं। जिस जगह उसकी हत्या हुई है, वहीं पर 4 कैमरे लगे हुए हैं।
घर वालों ने निकाल दिया
हैदर ने अपनी पसंद से शादी की थी, इस वजह से उसके पिता जफर पहलवान ने उसे घर से बाहर कर दिया था। हैदर के पिता अपने ससुर बरकत खलिफा के घर में रहते थे, बरकत डीडीए में नौकरी करते थे और दिल्ली के बड़े पहलवानों में से एक थे। उनकी मौत के बाद जफर ने उनकी याद में घर के नीचे एक मदरसा शुरू कर दिया।
गैंगस्टर छेनू पहलवान और नासिर के बीच एक वर्ष पहले समझौता हुआ था की उनके बीच गैंगवार नहीं होगी। यह समझौता नासिर की शादी से पहले हुआ था। समझौता एक मस्जिद में हुआ था, जिसमें नासिर खुद मौजूद था और छेनू की तरफ से उसके रिश्तेदार शामिल हुए थे। दो हत्याएं होने पर माना जा रहा है कि दोनों गैंगस्टर के बीच हुआ समझौता टूट गया है।