रिपोर्ट -हरप्रकाश मुंजाल
जयपुर ।कोरोना की चपेट में इस बार बाजरे की फसल भी आ गई है । किसानों को गत वर्ष की तुलना में आधी कीमत भी बमुश्किल मिल रही है । बारिश के अभाव में पैदावार भी कम हुई है इसके बावजूद दामो में तेजी नही है ।
अलवर जिले की मंडियों में बाजरे के दाम 1200 से लेकर 1300 रुपये क्विंटल बोल रहे हैं । बहरोड़ ऐसी मंडी है जहां 1400 रुपये प्रति क्विंटल के दाम किसानो को मिल रहे हैं । इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि वहां के किसान पड़ोस की हरियाणा की नारनोल मंडी में ले जा रहे हैं इसलिए वहां दामो में तेजी बनी हुई है ।
गत वर्ष अलवर की मंडियों में यही बाजरा 1800 से 2000 प्रति क्विंटल के दाम थे लेकिन इस वर्ष उत्पादन कम होने के बावजूद दाम काफी नीचे बोल रहे हैं । इस तरह बाजरे की फसल को भी कोरोना का ग्रहण लग गया है । गत वर्ष बाजरे की पंजाब और हरियाणा के मुर्गी फार्मो में दाने के रूप में ज्यादा मांग थी लेकिन इस बार कोरोना के चलते मुर्गा मुर्गियों की मांग कम होने से लोगों का मुर्गी पालन के कारोबार से मोहभंग हो गया हैं । इसीलिए बाजरे के दामो में तेजी नहीं आ रही है ।

उधर केंद्र सरकार ने बाजरे की फसल का समर्थन मूल्य 2150 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है लेकिन इसकी सरकारी खरीद ही नहीं हो रही है जबकि कोंग्रेस ने हाल ही पारित किए गए नए कृषि विधेयकों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है । और यह जोरशोर से प्रचारित किया जा रहा है कि इन विधेयकों से मण्डियों में खरीद बन्द हो जाएगी और समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा । लेकिन राजस्थान की मण्डिया भी चालू है और समर्थन मूल्य भी । लेकिन इसके बावजूद किसानों को उचित दाम नहीं मिल रहे हैं और किसान बेचारा लूट पिट रहा है ।