

– बायो एनर्जी व इनकी प्रोद्धोगिकी विषय पर पांच दिवसीय ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम का शुभारंभ
बीकानेर।( ओम दैया) अभियांत्रिकी महाविद्यालय बीकानेर के मैकेनिकल विभाग तथा राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वाधान में टैक्युप द्वारा प्रायोजित “बायो एनर्जी व इनकी प्रोद्धोगिकी ” विषय पर पांच दिवसीय ऑनलाइन ट्रेनिंग प्रोग्राम का शुभारंभ वेबेक्स एप के माध्यम से हुआ l राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र के समन्वयक प्रो. साथंस ने बताया की इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में देश के 850 शोधकर्ता, फैकल्टी, व विद्यार्थी प्रशिक्षण लेंगे l उन्होंने बताया की बायो एनर्जी आने वाले कुछ वर्षो के बाद देश में ऊर्जा पूर्ति का एकमात्र, सस्ता व सरल और कृषि आधारित उपाय होगा।
प्रथम सत्र के बतौर मुख्य वक्ता उन्नत भारत के राष्ट्रीय समन्वयक आई.आई.टी दिल्ली प्रो. वी.के. विजय ने शोधकर्ताओं को बायोगैस उत्पादन वह उसके ऊपर क्षेत्रों में शोध करने के लिए प्रोत्साहित किया उन्होंने बताया कि देश में लगभग 700000 गांव है यदि हम इनके उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर सके तो बायोफ्यूल के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर हो जाएगा l उन्होंने गैर पारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि छूट व आर्थिक सहयोग पर विस्तृत चर्चा की। देश में 2.07 बिलियन मीटर क्यूब प्रतिवर्ष ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है जो कि 6 करोड़ घरेलू एलपीजी सिलेंडर भरने के लिए पर्याप्त है l उन्होंने बताया कि आई.आई.टी दिल्ली के 350 एकड़ परिसर में उपलब्ध संसाधनों से ग्रामों ग्रामोदय परिसर का निर्माण किया गया है जिससे केंपस को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया गया l


महाविद्यालय के टैक्युप कोऑर्डिनेटर डॉ. ओपी जाखड़ व प्राचार्य जय प्रकाश भामू ने भी विचार रखते हुए बताया कि महाविद्यालय द्वारा शोध को प्रोत्साहन देने हेतु समय-समय पर इसी तरह के चुनौतीपूर्ण विषयों के ऊपर एफडीपी सेमिनार वह अन्य कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं जिससे समाज वह देश में महाविद्यालय द्वारा योगदान दिया जा सके
दूसरे सत्र में बतौर मुख्य वक्ता सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट आईआईटी दिल्ली की डॉ प्रियंका कौशल ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड इकोनामिक एस्पेक्ट्स ऑफ बायो एनर्जी पर व्याख्यान दिया, उन्होंने बताया कि 30 जुलाई 2012 को जो ब्लैक आउट हुआ था उससे देश को बहुत नुकसान हुआ इसीलिए हमें परंपरागत स्त्रोत जोकि समय के साथ खत्म होते जा रहे हैं वह ऊर्जा के क्षेत्र में देश को संभल देने के लिए अन्य तत्वों की तरफ जाना पड़ेगा जिसमें से बायो, सौर, पवन न्यूक्लियर मुख्य हैं।


दूसरे चरण के सत्र में पंडित दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी गांधीनगर के प्रो. सुरेंद्र कच्छावा व एनआईटी कुरुक्षेत्र के डॉ. रजनीश ने बायोफ्यूल के क्षेत्र में हो रहे शोध व देश विदेश में संचालित कार्यक्रमों पर चर्चा की! डॉ रजनीश ने बताया कि बायो फ्यूल का इंधन के रूप में उपयोग करने से पोषक तत्वों की हानि नहीं होती है वह प्रदूषण भी नहीं होता है इसके साथ ही इस की सैलरी को वर्मी कंपोस्ट बनाकर खाद के रूप में उपयोग किया जाता है। डॉ. कच्छावा ने बायोडीजल के विभिन्न स्तर के बारे में चर्चा की । अंत में कोऑर्डिनेटर डॉ धर्मेंद्र सिंह वह डॉ. रवि कुमार ने विशेषज्ञों वह प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया l ईसीबी के मैकेनिकल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर राजोरिया ने कार्यक्रम का संचालन किया l
