बीकानेर।राजस्थानी बाल साहित्य के विकास के लिए राजस्थान सरकार द्वारा घोषित बाल साहित्य अकादमी की स्थापना से बच्चों के साहित्य को संरक्षण दिया जाना बेहद जरूरी है। हनुमानगढ़ के साहित्य अकादमी से पुरस्कृत प्रख्यात बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी समाज द्वारा आयोजित ऑनलाइन विमर्श में कोरोना काल में बाल साहित्य के विकास पर चर्चा करते हुए कहा कि बालकों के सर्वांगीण विकास के लिए मातृभाषा में शिक्षा और श्रेष्ठ बाल साहित्य का अध्ययन अध्यापन बहुत जरूरी है। शर्मा ने राजस्थानी बाल साहित्य के ऐतिहासिक विकास को क्रमबद्ध ढंग से समझाते हुए अनेक रचनाओं के उदाहरण देकर कहा कि राजस्थानी का समकालीन साहित्य बहुत समृद्ध है।
उदयपुर की साहित्य अकादमी से पुरस्कृत प्रसिद्ध लेखिका विमला भंडारी ने कहा राजस्थानी के विकास के लिए उसे तकनीकी माध्यमों से समृद्ध किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है राजस्थानी बाल साहित्य किसी भी अन्य भाषा के बाल साहित्य से कमतर नहीं है। उन्होंने राजस्थानी में भी वेब सीरज की कहानियां लिखने की आवश्यकता जताते हुए साहित्य को वर्तमान से जोड़ने पर बल दिया।
श्रीगंगानगर के साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखक पत्रकार डॉ. कृष्ण कुमार आशु ने कहा कि राजस्थानी और बाल साहित्य के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि हम सभी अपने अपने घरों में मातृभाषा को संरक्षण दे और बाल साहित्य से अपने बच्चों को जोड़ें। आशु ने राजस्थानी साहित्य से अधिकाधिक पाठकों को जोड़ने की बात कही।
अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी समाज के संयोजक डॉ. नीरज दइया ने बताया अगला कार्यक्रम कोरोना काल में राजस्थानी उपन्यास का विकास पर केंद्रित होगा जिसमें प्रख्यात उपन्यासकार देवकिशन राजपुरोहित, नवनीत पांडे और संतोष चौधरी के साथ विमर्श होगा।