बीकोनर। राजीव गांधी भ्रमण पथ पंचवटी में स्वस्थ्य साहित्य राष्ट्रीय कवि चोपाल कि 206 वीं कड़ी आज रविवार 2. 6.2019 को कार्यक्रम रखा गया राष्ट्रीय कवि चोपाल के सचिव ड़ॉ तुलसीराम मोदी ने बताया आज के कार्यक्रम कि अध्यक्षता वृद्ध कवि जब्बार बीकाणवी मुख्य अतिथि डॉ. ब्रह्माराम चोधरी विशेष अतिथि जागती जोत के पूर्व सम्पादक कवि रवि पुरोहित एंव समाज सेवी कवि नेमचंद गहलोत सोभायमान हुए.. राष्ट्रीय कवि चोपाल के सचिव ड़ॉ तुलसीराम मोदी ने बताया कार्यक्रम सरस्वती वंदना से आरम्भ किया गया।
सरस्वती वंदना कवि जुगल पुरोहित ने कि हे मां शारदे सुनो मेरी हम तो तेरी शरण में आये है… संजय पुरोहित- व्यंग्य-कबाड़चंद सम्मानी बाबूलाल जी छंगाणी- गोधा पकड़ो भाया, खूब मचावै रोल गली गली में खुला धुमे… किशन नाथ- बीकानेर में तपे तावड़ो बुरा हुग्या हाल भाईडा आऐ ना अबार.. लीलाधर सोनी- अमर हुग्या वीर सावर कर भारत माँ रे गांव भारत मां रे गांव करग्या जग में अमर नांव… डॉ. ब्राह्मराम- कभी कभी तो सोचा इतना कितना खोया पाया… डॉ. तुलसीराम मोदी- मत पियो बीड़ी सिगरेट है भाईडा… मनोहर चावला- जितनी रोई राधा कान्हे के लिये उतना रोये श्याम सुदामें के लिये… अजीत राज- कौन हो तुम सुकुमारी बह रही नदियां जल में.. संस्थापक कवि नेमीचन्द गहलोत-हमारा देश ऐसा हो, हमारा शहर ऐसा हो, जहां जाति धर्म का झगड़ा फसाद न हो.. कवि महेश बडग़ुजर- भोला मेरा कहना ना मान।
सुबह शाम नशे का दिवाना.. श्रीमती सरोज भाटी- थाने विनती करू में बारम्बार प्रभु जी म्हारी अरज सुणो… कवि रवि पुरोहित- मत जल रे साथी मेरे वैभव से…कब आओगे मुस्कराहट भर के श्री हनुमत गौड़- गुरबत में जो मेरी हालत हुई वो क्या हुई(गजल) डॉ. महेश चुघ- माटी की काया को पा के करता स्यूं अभिमान रे..इसमें तेरा क्या है बन्दे जिसका तू गुण.. कवित्रि मुक्ता तैलंग- गुजर जाये शिवस्ती का आलम… गुलामी कभी मात खानी तो होगी… आकांशा मोदी राजगढ़- ‘मृत्यु’ था मैं जब आखिरी नींद में मुझे सजाया जा रहा था… काशिम बीकानेरी- इशारा उसने किया था
यहां जिसकी जानिब, वो पन्नाधाय का खुद अपना ही तो बच्चा था… जुगल किशोर पुरोहित- कतरा-कतरा पिघला हूं में टुकड़ा टुकड़ा बिखरा हुं… डॉ. कृष्णलाल बिश्नोई- देखों भाई लू बाजे..जतन करों रे कोई भाई शानू कच्छावा- दुनिया में कितना गम है मेरा गम कितना कम है श्री महबूब अली- पेड़ के नीचे मैं भी सुना दूं क्या नफरते बढ़ आई है, पेड़ नीचे जला दू मधुरिमा सिंह- बचपन को मिली न वृद्धो के अनुभव की छाया, क्षत, विक्षत ही मां की ममता… संस्था अध्यक्ष रामेश्वर द्वारकादास बाड़मेरा ‘साधक’- हे आत्म स्नेही…! हे मृत्यु देवी तुम्हें मन अन्र्तमन से शत-शत नमन… कैलाश टाक-गजल सी लगती हो..बाहर में आ जाआओ मना लुंगा ईद तुम मेरे शहर में आ जाओं.. कार्यक्रम का संचालन कवि लीलाधर सोनी ने किया… अन्त में रवि पुरोहित ने जन-गण-मन का गान किया तथा अन्त में धन्यवाद संस्था अध्यक्ष रामेश्वर जी बाड़मेरा ने दिया…कार्यक्रम में साक्षी रहें राजाराम बिश्नोई, सोरभ दईया, भागीरथ, रजबुदीन, रामकिशन, अशोक भाटी आदि मोजुद थे।