– पैपा ने भेजे मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र

बीकानेर। आर.टी.ई. पोर्टल पर आनलाईन शिक्षण सत्यापन अपडेशन की प्रक्रिया निरस्त कर बिना सत्यापन सत्र 2020-21 की पहली किश्त जारी किए जाने हेतु प्राईवेट स्कूल्स की राज्य स्तरीय सोसाइटी प्राईवेट एज्यूकेशनल इंस्टीट्यूट्स प्रोसपैरिटी एलायंस (पैपा), राजस्थान ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखा है। पैपा के प्रदेश समन्वयक गिरिराज खैरीवाल द्वारा मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री को ईमेल द्वारा प्रेषित पत्र में बताया है कि 05 मई को शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि 15 मई तक सभी प्राईवेट स्कूल्स द्वारा आनलाईन शिक्षण विद्यार्थीवार अपडेट करने पर ही सत्र 2020-21 की पहली किश्त का भुगतान किया जाएगा। खैरीवाल ने मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री को पत्र में अवगत कराया है कि आरटीई प्रावधान के अंतर्गत पहली किश्त का भुगतान बिना किसी भौतिक सत्यापन के भी किया जा सकता है तो फिर इस पैनडेमिक सिचुएशन्स में अवांछित औपचारिकताओं के नाम पर मानसिक प्रताड़ना क्यों दी जा रही है।

अतः इस तरह के बेवजह परेशान करने वाले तुगलकी फरमान को निरस्त करने की कृपा करावें और आरटीई के प्रावधानों के अनुसार भौतिक सत्यापन किए बिना ही पहली किश्त का भुगतान करावें। जब स्थितियां सामान्य होंगी तो स्कूल्स खुलने के बाद भौतिक सत्यापन कराने के पश्चात ही द्वितीय किश्त का भुगतान किया जा सकता है। इस दौरान नियमानुसार समायोजन भी करेंगे तो कोई आपत्ति नहीं होगी लेकिन भुगतान करने के नाम पर इस तरह के अव्यावहारिक आदेश जारी करना जिसमें एक वर्ष पहले के रिकार्ड को तब मांगा गया है, जब बच्चे सरकार के 17 मार्च और 12 अप्रैल को जारी आदेशों के मुताबिक अगली कक्षाओं में क्रमोन्नत कर दिए गए हैं। उन्होंने पत्र में मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए लिखा है कि आरटीई के अंतर्गत अध्ययनरत स्टूडेंट्स अत्यंत ही निर्धन वर्ग के होते हैं, वे इस तरह आनलाईन स्टडी हेतु प्रयुक्त होने वाले गैजेट्स को कैसे अफोर्ड कर सकते हैं? वे स्टूडेंट्स कैसे आनलाईन स्टडी कर सकते हैं, जो उन गांव – ढाणी में रहते हैं, जहां इंटरनेट की कोई पंहुच ही नहीं है। जब भुुगतान आरटीई के अंतर्गत पढ़ने वाले बच्चों का किया जाना है तो नॉन आरटीई के बच्चों के डाटा मांगना पूरी तरह से गैर जायज है। कहीं ये प्राईवेट स्कूल्स को मानसिक रूप से परेशान करने की योजना तो नहीं है? या फिर सरकार के पास बजट नहीं होने के कारण वह इस तरह की प्रक्रिया में स्कूल्स को उलझाकर समय निकालने की कोशिश कर रही है। वैसे भी इस तरह की व्यवस्था की न तो आवश्यकता है और न ही कोई औचित्य, अतः इस विकट समय में ऐसे अदूरदर्शिता पूर्ण व अव्यावहारिक आदेश और क्रियान्वयन को तुरंत प्रभाव से निरस्त कराने की कृपा कराते हुए प्राईवेट स्कूल्स को न्यायोचित राहत दिलाएं तथा तुरंत ही नियमानुसार बगैर सत्यापन पहली किश्त का भुगतान करावें।

You missed