-नकली खाद से पटा बाजार
– पीओएस मशीन से बिकी की योजना फेल

-कीमत पर नहीं है नियंत्रण, मनमाना कीमत ले रहे हैं व्यपारी

-विभागीय अधिकारी नही करते हैं दुकानों की जांच

बिहार(सुपौल)ओम एक्सप्रेस -खरीफ के मौसम शुरू होते ही जिले के त्रिवेणीगंज में खाद के वयापारी किसानों से यूरिया ,डीएपी सहित अन्य खाद का मनमाना कीमत वसूल रहे हैं। खासकर लोकडौन का बहाना बनाकर यूरिया को 400 रुपये प्रति बोरा बेच रहे हैं।बढ़ी कीमत की चर्चा करने पर टका सा जवाब देते हैं कि खाद नहीं है। लोकडौन कि आड़ में किसान न तो शिकायत दर्ज कर पाते हैं, नही कोई अधिकारी किसानों के दर्द को सुनने को तैयार है।बेबस किसानों के पास मनमाने दर पर खाद लेना मजबूरी है। किसानों के नाम पर राजनीति करने वाले राजनीतिक दल भी इस शोषण के खिलाफ कभी भी आवाज बुलंद करने की जुर्रत तक नही दिखाते हैं। रही बात अधिकारियों की ,तो उन्हें भी खाद विक्रेता समय समय पर आर्थिक नजराना भेज ही देते हैं। फलतः क्यो इस तरफ ध्यान दिया जाय।

नकली खाद और दवाओं से पटा हैं बाजार
जानकारों का कहना है किइस मौसम में खाद की माँग अधिक होने से खाद बिक्रेता ब्रांडेड कम्पनी के बोरे में नकली और कम कीमत वाली खाद रिपैकेजिंग कर किसानों का शोषण कर रहे हैं। चूंकि इन खाद बिक्रेता को किसी तरह का प्रसासनिक भय नहीं होता है,फलतः नकली और घटिया किस्म के खाद का मनमाना कीमत वसूली करते हैं।कमोबेश इससे बुरा हाल कीटनाशक दवाओं का है।इनका दाम काफी अधिक लिया जाता है, जबकि यह कोई खास फायदा नहीं करता है।

पीओएस मशीन से खाद बेचने की स्कीम बना फ्लापशॉप
बिहार सरकार के कृषि विभाग ने दो साल पहले सभी खाद दुकानों पर पीओएस मशीन से ही खाद बिक्री करना अनिवार्य कर दिया था।बिभाग से सभी लाइसेंस धारी बिक्रेता को पीओएस मशीन दी भी गई थी।लेकिन यह अब महज शोभा की बस्तु बन गई है।कोई भी खाद बिक्रेता इसका उपयोग करते नही है।जबकि कृषि विभाग ने बिना पीओएस के खाद बिक्री पर पूर्णतः रोक लगा दिया था।

कीमत पर नही है सरकारी नियंत्रण
लगता है कित्रिवेणीगंज अनुमंडल में खाद की कीमत सरकार नही, बल्कि स्थानीय व्यपारी तय करते हैं।सरकार के बार बार निर्देश के बाबजूद खाद बिक्रेता दुकानों पर नतो मूल्य तालिका का प्रदर्शन करते हैं ,न ही किसानों को कैशमेमो देते हैं।कैशमेमो मांगने पर खाद ,कीटनाशक दवाओं को देने से मना कर देते हैं।महज 270 रुपये सरकारी तय रेट वाला यूरिया 340 से 400 रुपये में ताल ठोक कर बिक रहा है। अलबत्ता छोटे दुकानदार को कहना है कि सारी मनमानी थोक विक्रेता करते हैंऔर लोगो का कोपभाजन हमे बनना पड़ता है। थोक विक्रेता और बड़े डिस्ट्रीब्यूटर जिस दर पर हमें आपूर्ति करते हैं, हम उसी हिसाब से बेचते हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी
“”सरकार के तय दर से अधिक कीमत वसूली करने वाले दुकानदार पर जांच कर कार्यबाही होगी।”
पी के झा ,डीएओ