बीकानेर। पापड़ में मिलावटखोरी के मामले को लेकर अब खतरनाक खुलासा हुआ है। जानकारी के अनुसार बीकानेरी पापड़ की साख बिगाडऩें के लिये शहर के अनेक मिलावटखोर कारोबारी पापड़ में साजी की जगह मिठ्ठे सोड़ा नहीं बल्कि साबुन बनाने वाले सोडे का इस्तेमाल कर रहे है,जो अखाद्य पदार्थ होने से स्वास्थ्य के लिये घातक और पेट में अल्सर,लीवर में संक्रमण और कैंसर सरीखी जानलेवा बीमारी का संवाहक है और पशुओं को भी नहीं दिया जा सकता है। लेकिन विडम्बना है कि बीकानेर में मिलावटखोर कारोबारी पापड़ बनाने में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहे है। जानकारी में रहे कि करीब पांच साल पहले नेस्ले कंपनी की मैगी में सीसे की मात्रा अधिक पाये जाने के कारण उसे स्वास्थ्य के लिये घातक बताते हुए देशभर में प्रतिबंधित कर दिया गया था। मैगी को प्रतिबंधित किये जाने के बाद अनेक देशी और विदेशी खाद्य पदार्थो की जांच हुई।
उस दौर में बीकानेरी पापड़ में मिलावटखोरी की आंशका को लेकर जांच की मांग उठी लेकिन भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानव प्राधिकरण ने इसे नजर अंदाज कर दिया। पुख्ता खबर है कि बीकानेरी पापड़ में मिलावटखोरी का चलन पिछले लंबे अर्से से हो रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीकानेर पापड़ की खाद्य जगत में विश्व स्तरीय पहचान है,लेकिन अब साबुन बनाने वाले सोड़े जैसे अखाद्य पदार्थ की मिलावटखोरी की खबरों के बाद बीकानेरी पापड़ की शुद्धता को लेकर जांच की मांग उठने लगी है। पापड़ उद्योग जगत से जुड़े सूत्रों के अनुसार पापड़ को जायकेदार और स्वादिष्ट बनाने के लिये साजी की सबसे बेहतर मसाला है,लेकिन सरकार ने साजी पर 200 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी और ५८ प्रतिशत जीएसटी लगा दी। इतना ही नहीं पाकिस्तान ने भी भारत के साथ तनाव के चलते साजी का निर्यात बंद कर दिया,ऐसे कई कारण सामने आये है जिसके कारण पापड़ कारोबारियों के लिये साजी का इस्तेमाल मंहगा सौदा साबित होना लगा। ऐसे में ज्यादात्तर पापड़ कारोबारियों ने साजी के विकल्प में पापड़ खार का इस्तेमाल शुरू किया,हालांकि खार भी स्वास्थ्य के लिये घातक है,लेकिन खार से भी सस्ता होने के कारण पापड़ में सोडे का इस्तेमाल शुरू कर दिया। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि बीकानेर में बाजार में पिछले तीन-चार सालों से सोडे की डिमांड दुगुनी हो गई है,और ज्यादात्तर सोडा यहां पापड़ कारोबारी भी खरीद रहे है। इससे साफतौर पर प्रमाणित होता है कि बीकानेर पापड़ अब सोडा युक्त है,जो स्वास्थ्य के घातक हो गया है।
बीकानेर में पापड़ उद्योग जगत से जुड़े प्रतिष्ठित कारोबारी भी अब पूरजोर तरीकें से मांग करने लगे कि मिलावटखोरों की कारस्तानी के कारण खाद्य जगत में विश्व स्तरीय पहचान कायम रखने के लिये बीकानेरी पापड़ की उच्च स्तरीय प्रयोगशालाओं में जांच कराई जाकर,अशुद्धता और सोडे की मिलावट पाई जाने पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की जाये। जानकारी में रहे कि बीकानेर में पापड़ का कारोबार कोई छोटा-मोटा कारोबार नहीं बल्कि सालाना दस हजार करोड़ रुपये का कारोबार है। जिसे मिलावटखोरी की मार से बचाना शासन-प्रशासन और प्रतिष्ठत उद्यमियों की जिम्मेदारी है। यह भी जानकारी मिली है कि बीकानेर में छोटे कारोबारी ही नहीं पापड़ उद्योग के कई बड़े और नामी कारोबारी भी अब सोडें का इस्तेमाल कर ना सिर्फ पापड़ का जायजा और गुणवता बिगाड़ रहे है बल्कि मानव स्वास्थ्य से खिलावाड़ कर रहे है।