बीकानेर, (कविता कंवर राठौड़)। बीकानेर शहर की पौराणिक परम्पराए व सस्कृति को कोलकाता महानगर में बसे लोगों ने आज भी जीवंत रखा है और हर तीज त्योंहार में बीकानेरी संस्क्रति की झलक देखने को मिल जाती है,ये उदगार बीकानेरी सस्कृति के प्रचारक संवाहक तथा रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने कोलकाता में पंडित गोरखा महाराज वेद प्रचार संस्थान, झालापट्टा मंडल व मरजी क्लब द्वारा आयोजित होने वाले 100 वें महायज्ञ हेतु लिलुआ के सच्चियाय माता मंदिर प्रांगण मे यज्ञशाला भूमि पूजन पर विशिष्ट अतिथि के रूप में व्यक्त किया। रमक झमक के अध्यक्ष प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने कहा कि कोलकत्ता में गणगौर व लोक देवता बाबा रामदेव का द्वार बना होना यह दर्शाता है लोग महानगरीय सस्कृति के बीच रहकर भी अपनी सस्कृति से जुड़े हुवे है। प्रधान आचार्य पण्डित दाऊ लाल ओझा,महानगर के उधोगपति दाऊलाल देराश्री, कोलकाता में बीकानेरी साफ़ा बांधने वाले गिरिराज हर्ष,लेखक,कलाकार व सामाजिक कार्यकर्ता पी.शीतल हर्ष,लक्ष्मीनारायण व्यास,ने इस अवसर पर रमक झमक के अध्यक्ष का मोती माला,फूल माला व ओपरणा व पाग पहनाकर व मां सारिका का चित्र भेंट कर अभिनन्दन किया।
पी.शीतल हर्ष ने स्वागत भाषण में कहा कि बीकानेर एक प्यारा शहर है जिस शहर की हवा मे अपनायत है उस शहर के पानी मे भलमानसता उस शहर की संकृति, परम्परा को प्रह्लाद ओझा भैरू आगे बढ़ाये रखने मे सदेव सक्रिय रहे है, बीकानेरी पुष्करणा ब्राह्मणों के दो वर्षीय सामूहिक विवाह ( सावे ) को अंतराष्ट्रिय पहचान दिलाने मे रमक झमक संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान है,रमक झमक के माध्यम से इन्होंने दुनियां भर में बसे पुष्कर्णो को जोड़े रखा है और परम्परा सस्कृति के आयोजन की झलक उन तक पहुचाते रहते है।शहर परकोटे कि सस्कृति के संवाहक का सम्मान कर कोलकात्ता में बसे हम बीकानेरी गौरवान्वित हुवे है।
दाऊ ओझा झलापट्टा ने कहा कि उनके द्वारा बीकानेर में पहला भैरव महायज्ञ किया था और आज कोलकाता में 100 वां विराट रामदेव श्री महायज्ञ होने जा रहा है प्रथम व सौ वें महायज्ञ में दोनों में रमक झमक की उपस्थिति हर्षित व गौरवान्वित करती है।बमबम हर्ष,रूप नारायण हर्ष एवं छोटू लाल पुरोहित ने भी विचार रखे।

You missed