-:कोरोना एडवाइजरी पर भारी मंत्रीजी का फरमान
कोरोना आपदा में अपने गृहजिले के हालातों की सुध लेने बीकानेर आये केबिनेट मंत्रीजी ने अपने आवास पर जन सुनवाई के दौरान आनन फानन में फरमान जारी कर दिया कि पीबीएम होस्पीटल में कोरोना मरीजों और क्वारंटाइन किये गये संदिग्धों को घर का खाना पहुंचाने की अनुमति दी जाये। मंत्रीजी के फरमान से होस्पीटल के कोरोना यौद्धा सकते में आ गये,उनके लिये समस्या खड़ी हो गई कि मंत्रीजी का फरमान मानें या कोरोना की एडवाइजरी! क्योंकि एडवाइजरी में हिदायत है कि कोरोना मरीजों और संदिग्धों के संपर्क में ही कोई नहीं आना चाहिए,खाना पहुंचाना तो दूर की बात है। ऐसे में मंत्रीजी के फरमान पर खाने पहुंचाने की छूट देने से खाना पहुंचाने वाले भी संक्रमित हो गये तो इसका जिम्मेदार कौन होगा,खैर मंत्री का फरमान था इसलिये होस्पीटल के कोरोना यौद्धाओं ने अनुमति देने की हां तो भर दी,लेकिन छूट नहीं मिलने के कारण कोरोना रोगियों और संदिग्धों के परिजन खाने के टिफिन लेकर उल्टे पांव लौट आये। परिजनों को समझ नहीं आ रहा है कि हमारे साथ यह मजाकिया खेल मंत्रीजी ने खेला है या होस्पीटल के कोरोना यौद्धाओं ने! लेकिन फिलहाल सब खैरियत है।
कलमुंह कोरोना को राजस्थान के कांग्रेसी बंधू कभी माफ नहीं करेगें,सत्ता में आने के बाद सियासी नियुक्तियों के लिये जोर आजमाइस में जुटे कई कांग्रेसी बंधूओं ने अपने आकाओं को खुश करने के लिये लाखों रूपये खर्च दिये,ऊपर तक सैंटिग बैठाने के लिये पूरी ताकत झोंक दी। मलाईदार पद पर नियुक्ति मिलने की उम्मीद में मोटी कमाई के लिये कार्ययोजना भी बना ली। बीकानेर में तो सियासी नियुक्ति के तौर पर मिलने वाली यूआईटी चैयरमेनशीप के लिये एक दो नहीं बल्कि दर्जनभर से ज्यादा कांग्रेसी लाईन में लगे थे। जिन्हे मार्च महिने के अंतिम सप्ताह में गुड़ न्यूज की उम्मीद थी,लेकिन इसी दरम्यान शुरू हुए कोरोना के प्रकोप ने सत्ता वालों को संकट के हालातों में ऐसा उलझाया कि सियासी नियुक्तियां तो दूर हालात संभलने मुश्किल हो गये। हालांकि शुरूआती दौर में लग रहा था कि कोरोना की कांव-कांव जल्द ही खत्म हो जायेगी,लेकिन अब तो जून-जुलाई तक इसके निपटने कोई आसार नहीं है,मामला दिसम्बर तक बढ सकता है, ऐसे में सियासी नियुक्तियों की बाट जोह रहे कांग्रेसी बंधूओं में घौर निराशा की लहर व्याप्त है मगर फिलहाल सब खैरियत है।
भी दुगुनी बढ गई है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।
-:विष्णुजी के चले जाने से निशाने पर आ गये कई सियासतदार
रैंज पुलिस के नामदार थानेदार विष्णुजी के खुदकुशी कर लिये जाने से बीकानेर संभाग के कई सियासतदार निशाने पर आ गये। इनमें एक नहीं कई ऐसे सियासतदार भी शामिल है,जो विष्णुजी के नाम ही चमकते थे। वजह यह कि विष्णुजी की जिन थानों में तैनाती रही उन हल्कों में पुलिस के मामलों में सियातदारों की चौधर नहीं चलती थी। यूं भी कहा जा सकता है कि हल्कों के सियातदार विष्णुजी से छत्तीस का आंकड़ा रखते थे,इसका रिकॉर्ड खंगाला जाये तो दर्जनों की तादाद में ऐसे सियातदारों के नाम उजागर हो सकते है जिन्होने विष्णुजी को पस्त करने के लिये शिकायतों का अंबार लगा रखा था,बंदा मजबूत था इसलिये कभी झुका नहीं,खैर दुखद बात तो यह विष्णुजी की कारसेवा कराने में जुटे रहने वाले कई नामी सियासतदार अब उनके निधन पर गडियाली आंसू बहा कर संवेदना व्यक्त करने की नौंटकी कर रहे है। ऐसे सियातदारों की अब भगवान ही खैर मनायेगा..इसलिये फिलहाल सब खैरियत है।
कोरोना आपदा के दौर में यहां बीकानेर में फर्जी पत्रकारों की आई बाढ ने मीडिया जगत को हैरान कर रखा है। मजे कि बात तो यह है कि शहर में कवरेज करने के नाम तहलका मचाते घूम रहे यह पत्रकार कौनसे मीडिया समूह,अखबारों,चैनलों या न्यूज पॉर्टलों से जुड़े इसकी जानकारी सूचना एवं जन संपर्क विभाग के पास भी नहीं है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि फर्जी श्रेणी के कई पत्रकार लॉकडाउन और कफ्र्यू की सख्ती के बावजूद प्रतिबंधित इलाकों में करवरेज करते घूम रहे है और पुलिस भी इनकी तस्दीक नहीं कर रही। कई मौके तो ऐसे भी आये जब जिले के अधिकृत पत्रकारों को शहर के कफ्र्यू और महाकफ्र्यू वाले इलाकों में प्रवेश के लिये विशेष पास बनवाने पड़े,वहीं फर्जी श्रैणी के पत्रकार इन इलाकों में स्वच्छन्द घूमते दिखाई दिये। खबर तो यह भी मिली है कि कोरोना आपदा की मारामारी के दौर में फर्जी श्रैणी के यह पत्रकार कवरेज की आड़ में प्रतिबंधित उत्पादों की सप्लाई में जुटे थे। इनमें से एक जना सार्दुल सर्किल पर शराब की सप्लाई के लिये जाते समय पकड़ा भी गया था,लेकिन मामला मीडिया की बदनामी से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने ज्यादा सख्ती नहीं दिखाई। इसके अलावा भी फर्जी पत्रकारों के कई किस्से सुर्खियों में है लेकिन फिलहाल सब खैरियत है