बीकानेर। देश की अर्थव्यवस्था को तबाह करने के लिये जाली नोटों का रैकेट चलाने वाले राष्ट्रद्रोहियों ने देशभर में अपने सप्लायर फैला रखें है,इनसे जुड़े सप्लायरों ने बीकानेर में भी अपने पांव पसार लिये है। जिले की स्पेशल टीम ने शुक्रवार को बड़ी कार्यवाही कर जाली नोट के साथ विकास चौरडिय़ा नामक व्यवसायी को दबोचा है,इसके पकड़े जाने के बाद अब खुफिया ऐजेंसिया भी अलर्ट मोड़ में आ गई है। जानकारी में रहे कि पिछले तीन सालों के अंतराल में लाखों रूपये के जाली नोट बीकानेर की बैंकों के जरिये रिर्जव बैंक की तिजोरियों तक पहुंच चुके है,इसे लेकर कोटगेट थाने में अलग अलग केस भी दर्ज है। इसे साफ तौर पर जाहिर हो रहा है कि नकली नोट सप्लायरों ने बीकानेर को लंबे अर्से से अपना ठिकाना बना रखा है। पिछले दिनों खुफिया ऐजेंसियों ने भी आगाह किया था कि बीकानेर समेत पश्चिम राजस्थान के बड़े शहरों में जाली नोट सप्लायर सक्रिय है।
ऐसे में पुलिस विशाल चौरडिया की कड़ी पूछताछ कर उसका नेटवर्क खंगालने में जुटी है। पुलिस आरोपी के साथ कारोबारी संबंध रखने वाले व्यवसायियों को भी जांच के दायरें में ले लिया है,इसके अलावा उसके संपर्क वाले लोगों को भी निगरानी में लिया गया है। चौरडिय़ा ने बीकानेर में कहां-कहां जाली नोट खपाये है,इसकी पुख्ता तौर पर जानकारी जुटाई जा रही है। बीकानेर में अभी कई जाली नोट सप्लायरों के पकड़े जाने के अलावा लाखों रूपये के जाली नोट बरामद होने की आंशका है। यह भी पता चला है कि सप्लायरों द्वारा बीकानेर में खपाये गये जाली नोट बैंकों तक पहुंच चुके है। इससे बैंक प्रशासकों में हड़कंप सा मचा हुआ है। उन बैंको में भी जांच पड़ताल की जा रही है जहां चौरडिय़ा और उसके घर परिवार वालों खाते है। बीकानेर में चौरडिय़ा से संपर्क रखने वाले कई हवाला कारोबारियों को निगरानी में लिया जायेगा।
वहीं खुफिया ऐजेंसियों ने आश्ंाका जताई है कि बीकानेर में पकड़े गये सप्लायर विशाल चौरडिय़ा के पास बरामद हुए जाली नोट बांग्लादेश में छपे हो सकते है,क्योंकि बंगलादेश में चोरी छिपे भारतीय नोटों की जमकर छपाई होती है. भारतीय नोटों की छपाई में जो कागज इस्तेमाल हो रहा है ,वह कागज बांग्लादेश में भी उपलब्ध है. लिहाजा नोटबंदी के बावजूद यह जाली नोटों का कारोबार पहले की तरह फिर से फल फूल गया। बंगलादेश से जुड़े जाली नोट माफिया अपने ऐजेेंट के मार्फत जाली नोटों की खेप पश्चिम बंगाल पहुंचा देते,फिर यहां आधी कीमत में यह नोट सप्लायरों तक पहुंचा दिये जाते है। जाली नोट सप्लायरों का नेटवर्क बीकानेर समेत समूचे पश्चिमी राजस्थान में फैला हुआ है। अधिकतर लोग दो हजार और पांच सौ के असली और नकली नोटों के बीच जरा भी अंतर महसूस नहीं कर पाते। वे सिर्फ कलर और अंकों को देख कर नोट का इस्तेमाल करते हैं. लिहाजा बड़ी आसानी से नकली नोट बाजार में खप जाते हैं। चौंकानें वाली बात तो यह है कि जाली नोट बैंक वालों के पकड़ में भी नहीं आते।