बीकानेर 28 जुलाई। श्री राममंदिर निर्माण हेतु नीवं में पवित्र स्थानों की रज व जल संग्रहण के कर्म में सोमवार को आचार्य तुलसी समाधी स्थल से भी पवित्र मिट्टी लेने विश्व हिन्दू परिषद् बीकानेर के पदाधिकारी पहुंचे। आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष जैन लूण करण छाजेड़ ने तुलसी समाधी पर लगे तुलसी के पौधे की मिट्टी विश्व हिन्दू परिषद् बीकानेर के अध्यक्ष अनिल शर्मा , मीडिया प्रभारी संजय जोशी , गौ सेवा प्रमुख लक्ष्मण उपाध्याय व राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के बौद्धिक प्रमुख रतन लाल छलाणी को सौंपी। इससे पहले सभी ने शासन श्री मुनिश्री मणिलाल जी के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

अध्यक्ष अनिल शर्मा व मंत्री ऋषिराज भाटी व इनकी टीम ने बताया की जिन पवित्र जगहों से मिट्टी ली गई है उनमें बीकानेर के लक्ष्मीनाथ मंदिर , भांडासर जैन मंदिर , करणी माता मंदिर-देशनोक ,कोलायत , मुकाम , मुरली मनोहर धोरा , राजरतन बिहारी मंदिर , नागणेची मंदिर , दाऊजी मंदिर , लालेश्वर महादेव , धनिनाथ मठ, समराथल धोरा इत्यादि पवित स्थानों से राज व जल संगृहीत किया है। उन्होंने बताया कि अयोध्या में बनने वाले भगवान राम के मंदिर की नींव के लिए मंगलवार को बीकानेर से प्रस्थान कर देंगें।

ज्ञात रहे अयोध्या में बनने वाले भगवान राम के मंदिर की नींव में देश के सभी पवित्र स्थलों से लाई गई मिट्टी डाली जाएगी। इस तरह मंदिर निर्माण में देश के सभी पवित्र स्थानों की भूमिका सुनिश्चित की जा रही है। इसी क्रम में बीकानेर के अनेक पवित्र स्थानों की मिट्टी अयोध्या भेजी जा रही है । इसे पांच अगस्त को निर्माण के दिन मंदिर की नींव में डाला जाएगा। मंदिर निर्माण के लिए देश की प्रमुख नदियों का जल भी एकत्र किया जा रहा है, उसे भी नींव में अर्पित किया जाएगा। मंदिर निर्माण की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रखेंगे।
विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी ने थार एक्सप्रेस को बताया कि हिंदू धर्म शास्त्रों में कोई भी शुभकार्य करने के पहले पृथ्वी मां से अनुमति लेने का प्रावधान है। देश की सभी नदियों से जल और सभी प्रमुख धार्मिक तीर्थों से मिट्टी लेकर राममंदिर की नींव में डालने का यही प्रयोजन है। इसके आलावा, इस मंदिर के जरिए संपूर्ण भारत की एकात्मकता का संदेश पूरे विश्व में जाएगा, इस दृष्टि से भी मंदिर निर्माण में पूरे राष्ट्र की सहभागिता सुनिश्चित करने का अभियान चलाया जाएगा।

अनिल शर्मा ने कहा कि जल्दी ही भारत के पांच लाख गांवों और दस करोड़ हिंदू परिवारों से मंदिर निर्माण हेतु दान लेने का यज्ञ शुरू किया जाएगा। इस तरह मंदिर निर्माण में पूरे समुदाय की भागीदारी तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ व्यापारिक घरानों ने इसके लिए अकेले निर्माण करने की प्रस्तावना दी थी, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया क्योंकि विहिप यह संदेश नहीं जाने देना चाहता कि इस मंदिर की स्थापना किसी व्यक्ति या संगठन विशेष के जरिए की गई।