आज का यह दौर कहने को बहुत एडवांस टेक्नोलॉजी का दौर है। परंतु यदि आप बीमार है और किसी हॉस्पिटल में एडमिट है तो वहा बीमारी की जड़ की जानकारी आपको नहीं मिल पाएगी बीमारी के सिंगटम के आधार पर आप का इलाज हो जाएगा। आपके शरीर में यह व्याधा क्यों आई इसकी जानकारी नहीं लग पाएगी परंतु जांच करने में यदि जांच रिपोर्ट गलत है तो उस आधार पर आप का इलाज भी गलत जरूर हो जाएगा और अमूमन कई बार जांच रिपोर्ट गलत हो जाती है आप स्वयं भी कभी कभार दो अलग-अलग लेब में जांच करवाएं। वहीं दूसरी और आपके जो पुराने डॉक्टर हैं नाड़ी वैद्य वे आपके शरीर की बीमारी का वजह बताते हैं और उसका इलाज करने की सलाह देते हैं। तब यहां आकर ऐसा लगता है कि एलोपैथी से इलाज जो होता है वह तत्कालिक रिलीफ के लिए होता है और होम्योपैथी और आयुर्वेद से जो इलाज होता है वह बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए होता है। हम कई बार सोचते हैं कि भारत अपना स्वयं का हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन क्यों नहीं बनाता है जो हमें मार्गदर्शन दे। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने जो फार्म कंपनियों को लाभ पहुंचाया और जनता के स्वास्थ्य साथ खिलवाड़ हुआ वह आप सबको मालूम है। आप लोग भी अपना इलाज कराने से पहले दो आसपास के डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार व पर्यावरणविद्)