” महिला आश्रय सदनों का निरीक्षण एवम विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन ”

मथुरा,(दिनेश”अधिकारी”)। जनपद न्यायाधीश मथुरा विवेक सिंगल के निर्देशानुसार 24 अगस्त को प्रातः 11:30 बजे से चेतन्य विहार वृंदावन स्थित रासबिहारी व लीलाकुंज महिला आश्रय सदनों का निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए किया गया। इस निरीक्षण एवं विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता सुश्री सोनिका वर्मा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा द्वारा की गई। इस अवसर पर चेतन्य बिहार स्थिति उपरोक्त दोनों महिला आश्रय सदनों की अधिक्षिकाएँ श्रीमती किरण दुबे व श्रीमती अनामिका पांडे तथा सदनों की प्रभारी श्रीमती गीता दीक्षित उपस्थित रहीं। सर्वप्रथम रासबिहारी व लीलाकुंज महिला आश्रय सदन, वृंदावन का निरीक्षण किया गया, जिसमें अधीक्षिका श्रीमती किरन दुबे द्वारा बताया गया कि आज निरीक्षण दिनांक को इन दोनों आश्रय सदनों में कुल 69 माताएं पंजीकृत हैं, जिनमें से 47 माताएं उपस्थित हैं तथा 22 माताएं अवकाश पर हैं। माताओं को महिला कल्याण निगम द्वारा ₹1850 प्रतिमाह सीधे उनके बैंक खाते में भेजे जाते हैं। माताओं को अक्षय पात्र संस्था की ओर से प्रतिदिन सुबह का भोजन निशुल्क मिलता है। सभी माताओं के अंत्योदय राशन कार्ड बने हैं, जिनमें उन्हें 20 किलो गेहूं, 15 किलो चावल प्रतिमाह प्राप्त होता है। राज्य सरकार द्वारा कोरोना काल में विगत 4 माह से निशुल्क अनाज भी प्राप्त हो रहा है।

महिला कल्याण निगम के द्वारा कॉमन किचन का निर्माण कार्य फिनिशिंग स्टेज पर है, परंतु निरीक्षण दौरान यह निर्माण कार्य बंद पाया गया। इस संबंध में जिला प्रोबेशन अधिकारी मथुरा को निर्देशित किया गया कि माताओं हेतु किचन का निर्माण कार्य अविलंब पूर्ण कराए जाने हेतु आवश्यक कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।कोविड-19 के दृष्टिगत अधीक्षिका द्वारा बताया गया कि उक्त दोनों सदनों की सभी माताओं को वैक्सीन लग चुकी है। वर्तमान में कोई माता अस्वस्थ नहीं है। सदनों में समय-समय पर सैनिटाइजेशन कार्य कराया जाता है। कोविड-19 के दृष्टिगत समस्त माताओं व कर्मचारियों से मास्क का प्रयोग अनिवार्य रूप से कराए जाने का प्रयास किया जा रहा है। पीने के पानी के संबंध में बताया गया कि सदन में एक आर.ओ. लगा है जो 1000 लीटर प्रति घंटे पानी देता है। इसके अतिरिक्त एक दानदाता द्वारा प्रतिदिन 20-20 लीटर की 20 बोतलें सदन की माताओं के प्रयोग हेतु दी जाती हैं। नगर-निगम द्वारा एक पानी का टैंकर की व्यवस्था भी की गई है।

अधीक्षिका द्वारा बताया गया कि उपरोक्त दोनों सदनों की माताओं को कोविड-19 के प्रति समय-समय पर जागरूक किया जाता है। परिसर व सभी कक्षों को समय-समय पर नगर निगम अथवा सदनों के कर्मचारियों द्वारा सैनिटाइज किया जाता है। सभी माताओं का प्रत्येक 15 दिन में कोविड-19 टेस्ट कराया जाता है। जो माता कोविड पॉजिटिव होती है उन्हें उपचार हेतु तुरंत अस्पताल भेज दिया जाता है। माताओं के अस्पताल से वापस आने पर उन्हें कुछ समय के लिए अन्य माताओं से अलग रखा जाता है। सभी माताओं को मास्क, साबुन, सैनिटाइजर प्राप्त करा दिए गए हैं। यदि कोई माता जनपद से बाहर अपने रिश्तेदारों के यहां कुछ दिनों के लिए जाती है तो उस माता की कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही सदन में प्रवेश दिया जाता है।

निरीक्षण उपरांत उक्त दोनों सदनों की माताओं के साथ सदन के एक हॉल में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया। इस विधिक साक्षरता शिविर में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार विषय पर जानकारी देते हुए बताया गया कि बुजुर्ग किसी भी परिवार के हो, वो गहरी जड़ होते हैं, जिस पर पूरा परिवार टिका होता है। जिस तरह किसी पेड़ को मजबूत होने के लिए उसका जमीन में गहरी जड़ होना जरूरी है, जैसे किसी घर या बिल्डिंग को ऊंचाई में पहुंचाने के लिए उसकी नींव जरूरी है, उसी तरह परिवार को फलने फूलने व एक साथ रहने के लिए बुजुर्ग की जरूरत है। आज के समय में बुजुर्गों की अनदेखी की समस्या इतनी विकराल रूप धारण करती जा रही है कि बुजुर्गों के प्रति इस तरह के बर्ताव के दृष्टिगत माननीय उच्चतम न्यायालय ने भारत सरकार को यह आदेश दिया कि वह देश के सभी प्रांतों के जिलों में एक ओल्ड एज होम की स्थापना करें, जिससे बुजुर्गों को अपने अंतिम समय में इधर-उधर भटक कर दुश्वारियों का सामना ना करना पड़े। उन्होंने बुजुर्गों के अधिकारों के संबंध में बताया कि माता-पिता व वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 के तहत अभिभावक एवं वरिष्ठ नागरिक जो कि अपने आय तथा अपनी संपत्ति के द्वारा होने वाली आय से भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं, वे अपने वयस्क बच्चों अथवा ऐसे संबंधितो से भरण पोषण प्राप्त करने हेतु आवेदन कर सकते हैं, जिनका उनकी संपत्ति पर स्वामित्व है अथवा जो कि उनकी संपत्ति के उत्तराधिकारी हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त माताओं को महिलाओं से संबंधित अन्य विधिक अधिकारों/विषयों में जानकारी प्रदान की गई।

विधिक साक्षरता शिविर के अंत में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा सुश्री सोनिका वर्मा द्वारा उपस्थित सभी माताओं को एक परिवार की तरह मिलजुल कर रहने, एक दूसरे की परेशानियों का मिलजुलकर निराकरण कराए जाने हेतु कहा गया तथा उपस्थित कर्मचारियों से यह अपेक्षा की गई कि वे सभी माताओं की देखभाल अपने घर के बुजुर्गों की तरह करें तथा इनकी सुरक्षा का पूर्ण ध्यान रखें। सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा द्वारा कोरोना के प्रकोप को दृष्टिगत रखते हुए आश्रय सदनों में निवासरत वृद्ध एवं विधवा माताओं की सुरक्षा हेतु बताया गया कि इस महामारी के दौर में माननीय उच्च न्यायालय तथा केंद्र व राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करना हम सब का कर्तव्य है। माताओं व सदनों के कर्मचारियों के हित के लिए मास्क, सैनिटाइजर का प्रयोग व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना तथा सभी का समय समय पर हाथ धोते रहना अति आवश्यक है। पॉजिटिव पाई गई माताओं को सामान्य माताओं से अलग कक्ष में अथवा अस्पताल में चिकित्सक की सलाह अनुसार मास्क के प्रयोग के साथ उचित दूरी पर रखा जाए तथा उनके स्वास्थ्य व चिकित्सक के परामर्श के अनुरूप भोजन व दवा इत्यादि की व्यवस्था रहे। आश्रय सदनों के परिसर, बरामदों व माताओं के कक्षों की साफ-सफाई उचित प्रकार से की जाए। विधिक साक्षरता शिविर में उपस्थित माताओं से पृथक पृथक वार्ता की गई तथा उनको विधिक अधिकारों व कोविड-19 हेतु पारित दिशा निर्देशों से अवगत कराते हुए उनकी समस्याओं को सुना गया व उनके निस्तारण हेतु सदनों की अधिक्षिकाओं व कर्मचारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।