मदिरा के नाम पर एक करोड़ का घोटाला, बीकानेर से लेकर उदयपुर के अधिकारियों के फूले हाथ पांव*

आबकारी विभाग के दस्तावेज खंगालने पहुंची बीकानेर की टीम

दिनभर हनुमानगढ़ जिले के अधिकारी व कर्मचारियों से ली मामले की जानकारी

हनुमानगढ़ /जिला आबकारी कार्यालय में गत तीन माह में मदिरा के नाम पर करीब एक करोड़ का घोटाला होने का मामला सामने आया है। अधिकारियों की ओर से अभी तक जो तथ्यात्मक रिपोर्ट बनाई गई है। उसमें घोटला की प्रथम दृष्टया पुष्टि भी हो चुकी है। इसके बाद संबंधित कर्मचारी को नोटिस भी जारी किया जा चुका है।

मामला बड़ा होने के कारण बीकानेर से लेकर उदयपुर के अधिकारियों के होश उड़े हुए हैं। इसके तहत शनिवार को अवकाश के दिन बीकानेर की विभागीय टीम हनुमानगढ़ कार्यालय में दिनभर दस्तावेज खंगालने में जुटी रही। सूत्रों के अनुसार इस घोटाले की गाज कई मदिरा के ठेकेदारों पर भी गिरी है। जानकारी के अनुसार गबन का खेल पांच अप्रेल 2019 से चल रहा था।

इसकी भनक हनुमानगढ़ के जिला आबकारी अधिकारी को कुछ दिन पहले पड़ी और पैरों के नीचे जमीन उस वक्त खिसक गई, जब एक राष्ट्रीय स्तर के बैंक ने अपनी मुहर को फर्जी और जाली बताया। जानकारी के अनुसार भादरा क्षेत्र की दस शराब की दुकानें, रावतसर क्षेत्र की भी सात मदिरा की दुकानें व नोहर क्षेत्र की 12 मदिरा की दुकानों की ओर से उठाई गई शराब की एवज में कागजों में जमा दिखाई गई एक करोड़ की राशि को खुर्दबुर्द किया गया है। खुर्द-बुर्द करने के पीछे आबाकरी विभाग ने सबसे पहले अपनी जांच में विभाग के ही लिपिक ग्रेड द्वितीय इंद्रजीत सिंह को लपेटे में लेते हुए 27 सितंबर को जिला आबकारी अधिकारी सहदेव रत्नू ने करीब एक करोड़ की राशि का ब्यौरा व रिकार्ड देने के लिए नोटिस भी दिया था। इसके बाद उच्चाधिकारियों के पास इस मामले की पूरी जानकारी पहुंची तो पूरे विभाग में हडकंप मचा हुआ है।

ऐसे होती गड़बड़ी
शराब ठेकेदारों को गोदाम से मदिरा लेने के लिए राशि बैंक में जमा करवाना होती है। इसके लिए ईमित्र से तीन चालान निकलवाने पड़ते हैं। चालान की राशि संंबंधित पांच या छह बैंकों में एक में जमा करवानी होती है। एक चालान की कॉपी बैंक के पास रहती है और दो चालान की कॉपी ठेकेदार को दी जाती हैं। इसमें से एक कॉपी ठेकेदार खुद के पास रखता है और दूसरी चालान की कॉपी मदिरा उठाने के लिए गोदाम में जमा करवाता है। जानकारी के अनुसार भादरा क्षेत्र की दस दुकानों की मदिरा की 20 लाख 36 हजार दो सौ रुपए की राशि का चालान तो आबकारी कार्यालय में पहुंच गया लेकिन राशि खाते में जमा नहीं हुई। इसी तरह रावतसर क्षेत्र की सात मदिरा दुकानों के माल की राशि 45 लाख 92 हजार 150 रुपए की राशि भी विभाग के खाते में जमा नहीं होना पाया गया। जबकि इसका चालान विभाग की फाइलों में जमा है। इसके अलावा नोहर की 12 मदिरा की दुकानों की ओर से उठाई गई शराब की राशि में से 33 लाख 30 हजार 400 रुपए की राशि विभाग के बैंक अकाउंट में तो जमा नहीं हुई, लेकिन विभाग के फाइलों में जमा बोल रही है। कुल मिलाकर 99 लाख 58 हजार 750 रुपए विभाग के खाते में जमा नहीं हुए लेकिन राशि गई कहां इसकी गुपचुप तरीके से जांच चल रही है।

इस तरह लगी बैंक की फर्जी मुहर
27 सितंबर 2019 को जिला आबकारी अधिकारी ने वृत भादरा अतिरिक्त प्रभार कार्यालय आबकारी निरीक्षक नोहर, रावतसर के लिपिक इंन्द्रजीत सिंह को नोटिस जारी किया। इसमें लिखा कि संबधित इलाके का चार्ज आपके पास है। वित्तीय वर्ष 2019-2020 के निर्गम चालान व परमिटों का मिलान आप द्वार नहीं किया गया। जिला कार्यालय में पदस्थापित लिपिक प्रथम इकबाल सिंह की ओर से आबकारी वृत भादरा, रावतसर, नोहर के चालानों का मिलान ई-ग्रास की साईड पर किया गया। भादरा की 10 दुकानों की 20 लाख 36 हजार दो सौ, रावतसर की सात दुकाने जिसकी राशि 45 लाख 92 हजार 150 रुपए व नोहर की 12 दुकानों की राशि 33 लाख 30 हजार 400 रुपए का लेखा-जोखा का मिलान चालान ई-ग्रास साईट पर नहीं मिला। इसके तहत संबंधित कर्मचारी द्वारा वर्णित चालानों को आबकारी निरीक्षक की यूजर आईडी व पासवर्ड से विभागीय वेबसाइट पर राशियों को गलत तरीके से दर्ज किया गया है तथा परमिट जारी करने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। पत्र में लिखा कि इलाका प्रभारी का दायित्तव था कि समस्त चालानों का ई-ग्रास से मिलान किया जाए। इस संबंध में कई बार निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद राशियों का मिलान नहीं किया गया।
पत्र में जिक्र किया आबकारी निरीक्षक वृत भादरा के 27 सितंबर को मिले पत्र के अनुसार आरसीआर से चालानों का मिलान करने पर देशी मदिरा आपूर्ति के वर्ष 2019-2020 में कुल 09 चालान बैंक में जमा नहीं होना पाया गया है। इसके अलावा भादरा के बस स्टैंड स्थित एक बैंक के प्रंबधक से संपर्क कर चालान की राशि की जानकारी ली गई तो शाखा प्रबंधक ने चालान की राशि बैंक में जमा होने से मना करते हुए चालानों पर लगी मुहर को जाली व फर्जी होने की संबंधित रिपोर्ट जारी की गई है। इसके अलावा चार चालान कार्यालय रिकार्ड से छेड़छाड़ कर इंद्रजीत सिंह की ओर से खुर्द-बुर्द किया जाना भी सामने आया है। इसके चलते यह नोटिस जारी सात दिन के अंदर उक्त चालानों का मिलान करवाने व राशि जमा करवाने के लिए स्पष्टीकरण मांगते हुए 27 सितंबर को नोटिस जारी किया गया था। हालांकि इसके दो दिन बाद जिला आबकारी अधिकारी सहदेव रत्नू का तबादला प्रतापगढ़ हो चुका है। इनकी जगह पर संजीव कुमार पटावरी को लगाया गया है।

दिनभर चली जांच
शनिवार को छुट्टी के दिन बीकानेर में तैनात अतिरिक्त आयुक्त ओपी पंवार ने जिला आबकारी अधिकारी सहदेव रत्नू, संजीव कुमार पटावरी की मौजूदगी में दस्तावेजों की जांच की और अन्य कर्मचारियों से बातचीत में की।

पाई गई है अनियमितता
राशि जमा नहीं होने की सूचना मिलने पर जांच की गई थी, जांच में अनियमितता पाई गई है। संबंधित कर्मचारी के खिलाफ नोटिस जारी कर उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत करवा दिया गया था।
सहदेव रत्नू, तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी*

कर रहे हैं जांच
हमारे रिकार्ड के मुताबिक कई चालान जमा नहीं हुए हैं। चालान किस कारण से जमा नहीं किए गए। इसकी जांच में जुटे हुए हैं। जांच पूरी होने के बाद ही सही स्थिति के बारे में मालूम होगा।
ओपी पवॉर अतिरिक्त आयुक्त, बीकानेर