– हेम शर्मा
गोचर के प्रति जो जन भावना है उसको देखते हुए गहलोत सरकार गोचर पर पट्टे देने के लोक लुभावने निर्णय से कांग्रेस सरकार को फायदा कम और नुकसान ज्यादा होना तय है। आम लोग इस निर्णय को अनुचित मानते है। गो भक्त और गोचर की रक्षा और विकास में लगे संगठन , कार्यकर्ता गुस्से में है। वोटों की राजनीति की डर से भले ही विपक्षी दल मोन रहे पर यह निर्णय अधिसंख्य के स्वीकार्य नहीं है। राजस्थान में काग्रेस ने चुनाव में घोषणा पत्र में ग्राम पंचायत स्तर पर गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए गौशाला और जिला स्तर पर नंदी शाला खोलने की घोषणा की थी। दुर्भाग्य कि तीन सालों की उपलब्धि में यह काम नहीं हुआ है। राजस्थान सरकार गौ संरक्षण और संवर्धन के नाम पर राज्य की जनता से टैक्स वसूल रही है। अब गहलोत सरकार नया कानून लाकर गोचर चरागाह को लोक प्रियता के लिए आवासीय पट्टे देने की घोषणा की है। गोचर केवल चारागाह भूमि ही नहीं है, बल्कि वनस्पति, वन्य जीव जंतु, सरीसर्प की संरक्षण स्थली है। गहलोत सरकार को वाकिफ होना चाहिए कि गोचर पर्यावरण संरक्षण का दूसरा नाम है। गोचर राजस्थान में डेजर्ट पार्क है। गोचर को लेकर हमारी पौराणिक मान्यताओं को गहलोत सरकार अनदेखा कर भूल कर रहे हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तो गोचर का अन्य उपयोग तो दूर उस पर स्वार्थ की दृष्टि डालने मात्र से पतन निश्चित बताया गया है। भले ही ये निरी मान्यता हो पर एक संदेश है। परंपरा से माना जाता हैं कि गोचर भूमि की रेत का एक कण भी घर में नहीं आए। गोचर का कोई उपभोग करता है प्रकृति उसे दंडित करती है। इस आशय कि बात वेदों में लिखी है।
सरकार का गौचर का अन्य उपयोग और खुर्द बुर्द करने के इस निर्णय की चहुं ओर आलोचना हो रही है। पट्टे लेने वालों की सहानुभूति गोचर की रक्षा में लगे लोगों के विरोध के सामने बोनी साबित होगी। सरकार अगर गोचर को ही वोटों की बलि चढ़ाती तो प्रदेश के गोवंश की चिंता कहां है ? सरकार के गोचर में 30 वर्षों से आबाद लोगों आवासीय पट्टे देने की घोषणा के खिलाफ आवाज उठने लगी है। इसकी आड़ में गोचर को खुर्दबुर्द करने की आशंकाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है। सरकार की इस घोषणा मात्र से कई भूमाफिया बेजा फायदा उठा सकते हैं। सरकार की इस घोषणा से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के निर्णयों और सरकार के नीति निर्देशों की कहीं अवहेलना तो नहीं हो रही है? यह भी समझने और आकलन करने का विषय है। सरकार की इस घोषणा का विरोध शुरू हो गया है। गो सेवी संगठनों, गो सेवकों, गोचर सुरक्षा का काम करने वाली संस्थाओं में इस निर्णय को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रोश है। लोग कहने लगे हैं कि गोचर भूमि का वोटों के लिये इस तरह उपयोग सरकार करती रही तो गोवंश आखिर कहा जायेगा।। इसलिए सबको गौ रक्षा और संवर्धन के खातिर चरागाह भूमि को बचाने के लिए आगे आना पड़ेगा इसके लिए हम सब गो सेवी संगठनों के साथ गौ सेवकों को संगठित होकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए ज्ञापन देने और आंदोलन करेंगे।