

अपनी वाणी से व्यवहार से वृत्ति से विचार से जो दूसरे को आनंदित करता हैवही नंद है : पंडित विजय शंकर व्यास
बीकानेर। केसर देसर सेवगों की गली स्थित थानवी जी कोटड़ी में स्व.बृजगोपाल थानवी की स्मृति में आयोजित पांचवे दिवसे के संगीतमयी भागवत कथाज्ञान यज्ञ के दौरान नंद उत्सव मनाया गया । इस दौरान फुलचंद सेवग (पानवाले) ने नंद बाबा का स्वरूप धारण किया और गौरांग पुत्र मारकण्डेयपुरोहित को कान्हा जी बने। व्यास पीठ के साथ आए भजन गायकों ने नंद के आनदं भयो सहित अनेक मधूर भजनों से श्रोताओं को आनंदित किया। कथा वाचक पंडित विजय शंकर व्यास ने कहा कि जो अपनी वाणी अपने वर्तन अपने व्यवहारऔर विचार से दूसरे को आनंदित करता है वही नंद है। जो अपने जीवन के
मांगलिक कार्यों का यश दूसरे को देता है वही यशोदा है जिसका मन विशुद्ध है वही वसुदेव है और जिसकी देवमयी बुद्धि है वही देवकी है। हमारे शरीर की इंद्रियां ही गोकुल का निर्माण करती है इंद्रियों का संगठन ही गोकुल है।
गौ का अर्थ है इंद्रियां कुल का अर्थ है संगठन हमारा शरीर ही इंद्रियोंका संगठन है अर्थात शरीर ही गोकुल है। जो अपनी एक एक इंद्रियों के द्वाराभगवान के रूप का रसपान करता है वही गोपी है।उल्लेखनीय है कि भागवत कथा का वाचन प्रतिदिन दोपहर 3 से शाम 7 बजे तक किया जाता है।

