मुंबई / जयपुर : लोकतंत्र में जब मोहल्ले के दादा की तर्ज पर सरकार को चलाने की कोशिश होती है तो उससे निबटने का रास्ता खोजने की कोशिश सोमवार शाम को मुंबई के होटल हयात में हुई। अत्यंत सुनियोजित तरीके से 162 से ज्यादा विधायक एक भव्य हाल में इकट्ठा हुए और उन्होंने एकजुट रहने की शपथ ली। शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अशोक चव्हाण एकसाथ थे। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी मजबूत दिखी।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने चुनौती दी कि भाजपा अब देखेगी कि शिवसेना क्या चीज है और यह गठबंधन पांच साल के लिए नहीं तीस साल के लिए है। राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने गोवा, मणिपुर और कर्नाटक में जो किया, वैसा वह महाराष्ट्र में नहीं कर पाएगी। पूरे कार्यक्रम में किसी ने हिंदी नहीं बोली। पूरा कार्यक्रम मराठी में ही हुआ।
यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के लिए संकेत है कि वे अपने राजनीतिक तौर तरीके समय रहते बदल लें, अन्यथा पता नहीं क्या-क्या देखना पड़ेगा। यह लोकतंत्र है। यहां सिर्फ सरकार की मनमानी नहीं चलती है। यहां जनता का भी दखल रहता है। बैठ जा बैठ गई, खड़ी हो जा खड़ी हो गई, जैसी जनता यहां नहीं है।
महाराष्ट्र में जो शक्ति प्रदर्शन हुआ है, वह मराठी शक्ति प्रदर्शन है। जैसे भी हो, हर तरह से राजनीतिक ताकत का विस्तार करने की जो नीति पिछले कुछ वर्षों से देखी जा रही है, उसका हल निकालने का प्रयास कहीं न कहीं तो शुरू होगा ही। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी पहाड़ के हैं और मराठी वातावरण के अभ्यस्त नहीं हैं। उन्होंने राज्यपाल के अधिकार का उपयोग करते हुए देवेन्द्र फड़नवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवा दी है। उसके बाद से ही राजनीति का पहिया तेजी से घूम रहा है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है।