नई दिल्ली, (दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष और प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक जी माधवन नायर ने कहा कि भारत को दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले रॉकेट की तकनीकी में महारत हासिल करने की दिशा में अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

उन्होंने वैश्विक विपणन पर जोर देते हुए कहा कि हमें अंतरिक्ष के क्षेत्र में पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए स्पेस एक्स के संस्थापक एलन मस्क के कारोबारी मॉडल से सीखने की जरूरत है। विदेशी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने और वैश्विक बाजार में अंतरिक्ष संबंधी सेवाएं देने की अपार संभावनाएं हैं। भारत के पास पृथ्वी पर्यवेक्षण एवं संचार मंचों के प्रक्षेपण की मूलभूत प्रौद्योगिकी एवं क्षमता है। लेकिन हम वैश्विक विपणन में अवसर से चूक गए हैं। नायर के मुताबिक, भारत अंतरराष्ट्रीय दामों की तुलना में 30 से 40 फीसदी सस्ती दरों पर उपग्रह प्रक्षेपण सेवाएं प्रदान करता है। स्वाभाविक रूप से ऐसे देश जिनके पास यह क्षमता नहीं है, उनके लिए अधिक से अधिक प्रक्षेपण प्राप्त करने की अच्छी संभावना है। इसलिए प्रभावशाली ढंग से आगे बढ़ने और बाजार में हिस्सेदारी प्राप्त करने के लिए कदम उठाना होगा। भारत पिछले 15-20 सालों से मस्क के दोबारा उपयोगी प्रक्षेपण प्रणाली की चर्चा कर रहा है लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ हासिल नहीं हो पाया है। जब तक हम इस प्रणाली की दिशा में आगे नहीं बढ़ते, तब तक हम (अंतरिक्ष परिवहन की) लागत कम नहीं कर सकते।

यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में संतुष्ट होने की जरूरत नहीं है, जहां पृथ्वी पर्यवेक्षण से लेकर संचार प्रणालियों एवं प्रक्षेपण सेवाओं में प्रौद्योगिकी बहुत तेजी से बदल रही है।