जयपुर में मार पीट पथराव, सुरजेवाला का विरोध,
धरने से कुछ इस तरह निकले
दिल्ली । भारत बंद की कामयाबी से किसान नेता खासे उत्साहित हैं। किसानों ने दावा किया कि चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बाद पहली बार कोई
किसान आंदोलन इतना सफल रहा है
जिसे आदर्श के तौर पर याद किया जाएगा। आंदोलन के मूल में रहे पंजाबऔर हरियाणा में किसान आंदोलन सबसे ज्यादा प्रभावी रहा तो देश के बाकी हिस्सों में भी इसका खूब असर देखा गया।
खासकर पश्चिमी उार प्रदेश में जगह-जगह पर किसानों ने प्रदर्शन किया औरयातायात बाधित किया। महाराष्ट्र के किसान नेताओं ने बंद को बेहद सफल बताया। तेलंगाना में बंद के कारण
यातायात और आम जन जीवन पर काफी असर पड़ा। देश में व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे तो बहुत कम वाहन सड़कों पर
दिखाई पड़े। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों द्वारा बुलाया गया भारत बंद पूरी तरह से सफल रहा है। किसानों के मुद्दे पर उन्हें देश के हर कोने से, समाज के हर हिस्से से समर्थन मिला है। पूरे देश के उनके किसान साथियों ने उन्हें जानकारी दी है और बताया है कि आंदोलन पूरे देश में अभूतपूर्व रूप से सफल रहा है।
समर्थन में अन्ना हजारे एक दिन के अनशन पर बैठे केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे
मंगलवार को एक दिन के अनशन पर बैठ गए। हजारे ने कहा कि देश में आंदोलन होना चाहिए ताकि सरकार पर दबाव बने
हित में कदम उठाए।लेकिन कोई भी हिंसात्मक कदम न उठाए।
— किसानों का समर्थन करने पहुंचे सुरजेवाला का विरोध,धरने से कुछ इस तरह निकले
चंडीगढ़ । केंद्र सरकार के तीन
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों नेमंगलवार को भारत बंद बुलाया था। इस दौरान किसानों ने हरियाणा के कैथल
जिले के तितरम मोड़ पर जाम लगाया।तभी कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला वहां पहुंचे और समर्थन का ऐलान करते हुए किसानों के धरने के बीच बैठ गए। कुछ किसानों को यहनागवार गुजरा और उन्होंने सुरजेवाला की हूटिंग शुरू कर दी। इस पर सुरजेवाला को वहां से निकलना पड़ा।
– पुलिस ने सुरक्षा में गाड़ी तक छोड़ा
किसानों के आंदोलन में विरोध
होता देख कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला को वहां से निकलना पड़ा। इस दौरान मौजूद पुलिस ने सुरजेवाला को अपनी सुरक्षा में लेकर गाड़ी तक पहुंचाया। इसके बाद वह धरना स्थल से निकल गए।
आपको बता दें कि किसानों ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि किसान आंदोलनको राजनीतिक स्वरूप नहीं देने दियाजायेगा।