जयपुर, । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राजस्थान के सृजनधर्मियों, संस्कृति कर्मियों और बुद्धिजीवियों ने सदैव धर्म निरपेक्षता और समतावादी समाज के निर्माण के साथ प्रदेश के विकास में रचनात्मक भूमिका निभाई है। यह समय एक चुनौती लेकर हमारे सामने आया है। ऐसे में हमें धर्म और जाति के नाम पर विद्वेष फैलाने वाली शक्तियों का डटकर मुकाबला करने की आवश्यकता है।
गहलोत ने कहा कि वे सदैव इस बात के पक्षधर रहे हैं कि शिक्षाविद्, साहित्यकार, कलाकार और अन्य बौद्धिक वर्ग को अभिव्यक्ति की आजादी मिले। इसके साथ ही विचारों और सामाजिक संवेदनाओं का सम्मान करते हुए जनहित की नीतियों और योजनाओं में उनका समावेश हो।
गहलोत ने अपनी चिंता दर्शाते हुए कहा कि आज देश में छद्म राष्ट्रवाद की आड़ में निरंकुशता के साथ अभिव्यक्ति और सृजनात्मकता को दबाया और प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐतिहासिक और शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के साथ छेड़छाड़ की जा रही है। वैचारिक स्वतंत्रता को कुचला जा रहा है। मीडिया को बलपूर्वक प्रभावित कर भ्रम और झूठ फैलाया जा रहा है जो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घातक है।
गहलोत ने कहा कि हमने प्रदेश में भाईचारा और सामाजिक सद्भाव बनाए रखते हुए विश्वास का वातावरण बनाए रखने का सार्थक प्रयास करते हुए आमजन को महंगाई से राहत दी। जनजीवन को आसान बनाने का हर सम्भव प्रयास किया है। प्रदेश में कला, साहित्य एवं संस्कृति और गुणात्मक शिक्षा को प्रोत्साहित किया है। प्रदेश में रिकार्ड संख्या में विश्वविद्यालय, महाविद्यालयों की स्थापना के साथ सभी अकादमियों और बोर्डों का गठन कर उन्हें गति प्रदान की है। नवाचारों की दृष्टि से राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, मारवाड़ इंटरनेशनल सेंटर जैसी संस्थाओं की स्थापना के साथ सेमिनार, संगोष्ठी स्थलों, प्रदर्शनी कक्ष और प्रेक्षागृहों का निर्माण करवाया है। कला, साहित्य और भाषायी अकादमियों का बजट बढ़ाया। रचनात्मक पुरस्कारों की राशि में अभिवृद्धि के साथ कलाकार-लोक कलाकारों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी है। राजस्थान रत्न सहित अनेक नये सम्मान प्रारम्भ किए। राज्य सरकार ने अभिव्यक्ति की आजादी पर कोई आंच नहीं आने दी।
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि वर्तमान विधानसभा चुनावों में एक तरफ विकास और लोक कल्याणकारी योजनाओं को अनवरत जारी रखने का सवाल है तो दूसरी तरफ वे शक्तियां हैं जो धर्म की राजनीति कर रही हैं और पूंजीपतियों का कवच बनी हुई है जिसका आमजन के हितों से कोई सरोकार नहीं है।
गहलोत ने सभी संस्कृति कर्मियों और बुद्धिजीवियों से अपील की है कि वे प्रदेश की खुशहाली, समृद्धि और सामाजिक सद्भाव की ऐतिहासिक विरासत और महान परम्परा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए अपने रचनात्मक प्रभाव का उपयोग करते हुए विकास और सामाजिक समरसता के लिए कांग्रेस प्रत्याशियों को विजयी बनाने में सहयोग करें ताकि राजस्थान देश में विकास का नया मॉडल और समृद्ध राज्य बनकर उभर सके।
–