

शासन प्रशासन द्वारा आम जनता पर कई नियमावली है और उन का कड़ाई से पालन करने के लिए उन्हें समय-समय पर दंडित भी करते रहती है। सरकारी मशीनरी में कई अनाचार भ्रष्टाचार और अवैध कार्य में लिप्त हैं उन सभी पर भ्रष्टाचार उन्मूलन नियमों का कड़ाई से पालन क्यों नहीं होता है। कार्रवाई इक्का-दुक्का पर होती है। जबकि सर्वविदित है कि अधिकांश लोग सरकारी मशीनरी में भ्रष्ट हैं। कई सरकारी नौकरी सिर्फ इसलिए पाते हैं कि वहा दो नंबर की कमाई कर सकें, सरकार से अच्छी तनख्वाह भी मिलती है बाद में पेंशन और तमाम कई फायदे मिलते रहेगे। प्राइवेट सेक्टर मे आदमी काम करता है वह मेहनत ईमानदारी से जो मिलता है उस में खुश रहता है पर सरकारी नौकरीपेशा कई सुविधाएं मिलने के बाद भी ईमानदारी से काम करने से क्यों विमुख रहते हैं। सरकार का लक्ष्य है सभी को मकान मिले कई मल्टीया सरकार बनवा रही पर एक-दो साल में ही मल्टीयों का प्लास्टर गिरने लगता है। सड़के बनती है पर एक बारिश बाद उस में गड्ढे हो जाते हैं। टोल टैक्स लेने के बाद भी सडके मेंटेन नहीं। चाहे अनाज खरीदी, पेट्रोल पंप या गैस एजेंसी का आवंट सब कुछ जुगाड़ू काम है। सुनने में आता है कि आजकल पुलिस थाना प्रभारी बनने के लिए भी जुगाड़ करना पड़ती है यही हालत अन्य कई पदों के लिए भी है। सुशासन के लिये भ्रष्टाचार और अवैध गतिविधि रोकने वाले सभी शक्ति प्रदत्त उच्च अधिकारी जागरूक रहें।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)
