मकर सक्रांति के दिन देहदानी डॉ. आशा भाटीया का पार्थिव देह परिजनों ने किया दान
बीकानेर,। समाज को कुशल चिकित्सक देने के लिए उसको मानव शरीर का पूरा ज्ञान होना आवश्यक है। जो मृत शरीर पर परीक्षण द्वारा ही संभव है। देहदान (मृत्यु उपरान्त संपूर्ण शरीर का दान) का महत्व आमजन को समझाने के लिए सरदार पटेल आर्युर्विज्ञान महाविद्यालय बीकानेर के प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे है इस क्रम में शनिवार को मकर सक्रांति के दिन 4-सी,140 जय नारायण व्यास नगर निवासी 78 वर्षीय डॉ. आशा भाटीया के पार्थिव देह को उनके परिजनों ने मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग को मेडिकल स्टूडेण्ट्स के शोध अध्ययन हेतु सुपूर्द किया।
इस दौरान प्राचार्य डॉ. गुंजन सोनी एवं एनाटॉमी विभाग की टीम ने पुण्यआत्मा को श्रद्धा सुमन अर्पित कर परिजनों को दुःख की घड़ी में ढांढस बंधाया। उल्लेखनीय है कि डॉ. आशा भाटीया के पति डॉ. मनमोहन भाटीया ने भी अपनी देह को चिकित्सा क्षेत्र के विद्यार्थियों हेतु दान में दी हूई थी।
प्रचार्य गुंजन सोनी ने बताया कि अब तक कुल 414 व्यक्तियों ने देहदान का फॉर्म भरा हुआ है, अब तक कुल 63 देहदान मेडिकल कॉलेज बीकानेर को प्राप्त हूई है जिसमें 45 पुरूष व 18 महिलाओं की देह सम्मिलित है। 1 अक्टूबर 2022 से आज तक कुल 7 देहदान एसपी मेडिकल कॉलेज को प्राप्त हूई है जिसमे जनवरी माह में 2 देहदान शामिल है। प्राचार्य सोनी ने बताया कि देहदान प्राकृतिक मृत्यु उपरान्त किसी भी धर्म या जाती के वयस्क व्यक्ति द्वारा द्वारा किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने के पश्चात देहदान का संकल्प ले सकता है।