-: बेवड़ो ने बता दिया जान है तो जहांन है नहीं, “जाम है तो जहांन है” 40 दिन बाद जान में जान आई

-:सरकार का यह फैसला भारी न पड़ जाए, शराब इतनी ही जरूरीहै तो सरकार होमडिलवरी की कराए व्यवस्था !

– तिलक माथुर
राजस्थान सहित देश के अनेक राज्यों में मधुशालायें गुलजार क्या हुई कि सुरा-प्रेमियों ने बता दिया कि जान है तो जहांन नहीं, जाम है तो जहांन है। शराब की दुकानें खोली गई तो सुबह से ही ठेकों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, लम्बी-लम्बी क़तारें लग गई। इस दौरान लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं किया और लॉकडाउन की जमकर धज्जियां उड़ाई। यहां तक लोगों ने मास्क तक नहीं पहना था। भीड़ को काबू करने के लिए कई जगह पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ी।

कोरोना के खिलाफ जंग में देश लॉकडाउन के तीसरे चरण में है। इस फेज में कई चीजों को छूट दी गई है। इसी के तहत जब शराब की दुकानें खोलीं गई तो चारों ओर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। हालात इतने बिगड़ गए कि लोगों ने शराब लेने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को ताक पर रख दिया। देश के पॉश इलाकों में शराब खरीदने के लिए इतनी भीड़ शायद ही कभी देखी होगी। 40 दिनों के बाद ये मौका आया तो लोग टूट पड़े। शराब के शौकीनों ने पहले दिन ही लोकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी सारी लक्ष्मण रेखाओं को तोड़ डाला और नतीजा यह है कि शराब के ठेकों के आगे लंबी कतारें लग गई। शराब की दुकानें खोलने का यह फैसला सही है या गलत यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा लेकिन यह तय है कि इस फैसले ने पुलिस व प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी है वहीं कई घरों में पिछले दिनों से चली आ रही शांति व सुख-चैन भंग हो गया है। देश में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा 50 हजार की सीमा को लांधने को बेकरार है मौत का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सरकार का यह फैसला कहीं भारी न पड़ जाए ! शराब अगर इतनी ही जरूरी है तो फिर सरकार को सभी जगह होम-डिलवरी की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि लोकडाउन भी न टूटे ओर सुरा-प्रेमियों की भी व्यवस्था हो जाये। उल्लेखनीय है कि पूरे देश में चल रहे लॉक डाउन के दौरान जहां एक तरफ खाद्यान, राशन, सब्जी, फल, दूध व दवा की दुकानों को छोड़कर सभी तरह की दुकानें पूर्णतया बंद हैं।

वहीं सरकार द्वारा शराब की दुकानों को खोलने के निर्णय को लेकर सोशल मीडिया पर घमासान मचा हुआ है। एक तरफ जहां लोग सरकार के इस निर्णय पर प्रश्न चिह्न लगा रहे हैं, वहीं शराबियों को लेकर फेसबुक व व्हाट्सएप पर चुटकुलों का दौर शुरू हो गया है। वैश्विक महामारी कोरोना से बचाव के लिए एकमात्र विकल्प लॉकडाउन के दौरान शहर से लेकर गांव तक बाजार पूर्णतया बंद कर दिए गए हैं। इस दौरान लोगों को तमाम कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ रहा है लेकिन कोरोना से बचाव के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान पर देश के लोग तमाम कष्ट सहते हुए भी लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं। लेकिन राजस्थान सहित लगभग समूचे देश में 4 मई से शराब की दुकानों को खोल दिए जाने के निर्देश के बाद आम जनता अवाक सी रह गई है। खास बात यह है कि शराब की दुकानों को खोलने के पीछे राजस्व बढ़ाने का तर्क दिया जा रहा है। ऐसे में लोगों द्वारा तरह तरह के सवाल खड़े करने शुरू हो गए हैं। लोगों का कहना है कि एक तरफ प्रधानमंत्री द्वारा आह्वान किया जा रहा है कि समाज के सक्षम लोग जरूरतमंदों, गरीब मजदूर व असहाय लोगों को राशन के साथ ही आवश्यक सामग्री से मदद करें। वहीं व्यापक पैमाने पर एक अभियान के तहत प्रधानमंत्री राहत कोष, मुख्यमंत्री राहत कोष के साथ ही जनपद स्तरीय राहत कोष में लोगों से दान दिलवाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और काफी बड़ी तादाद में लोगों ने बढ़-चढ़कर कर राशन वितरण के साथ ही राहत कोष में नगद जमा भी कराए हैं। अब ऐसे में जब समूचा देश इस वैश्विक महामारी के खिलाफ सरकार के साथ कदम से कदम मिलाए खड़ा है वहीं राजस्व जुटाने के लिए शराब की दुकानों को खोलने का मक़सद सरकार ही जान सकती है। इस तरह की सोशल मीडिया पर टिपणियां देखने को मिल रही है। जैसे आज मधुशालाये ज्यादा गुलजार है, सुबह से ही चारो तरफ उमंग और उल्लास है। बस चिखना वाली दुकानें बन्द हैं, लगे हाथ उन गरीब दुकानदारों को भी आदेश हो जाता। -आज लोगों की जान दांव पर लगाकर सरकार शराब बेच रही है #Wine_Shop #Lockdown -राज्य सरकारों ने छूट क्या दी पूरे देश में होड़ मच गई शराब की दुकान पर जाने और उसे खरीदने हेतु..और बहाना भी अच्छा बना लिया है बॉडी के अंदर भी सैनिटाइजर करना है..कल जब शराब लेने निकले तो ताली बजाकर उसका उत्साहवर्धन करें.. क्योंकि वह देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने जा रहा है आदि।।

सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों ने दावा किया कि यदि शराब की दुकानों पर आधार कार्ड की अनिवार्यता कर दी जाए तो सबसे अधिक वही लोग शराब खरीदते मिलेंगे जिन्हें राशन की राहत पहुंचाई जा रही है। वहीं एक बड़ा समूह ऐसा भी है जो सोशल मीडिया पर कटाक्ष करता नजर आ रहा है। स्थिति हो गई है कि फेसबुक व्हाट्सएप से लेकर ट्विटर तक ऐसी पोस्टों से भर गए हैं। गौरतलब है कि देश के 600 जिलों में शराब की दुकानें खोली गई है। झारखंड में शराब पर लोकडाउन तक पाबंदी है।महाराष्ट्र में भी 5 जिलों में शराब पर पाबंदी है वहीं राजस्थान में सभी जिलों में पहले दिन शराब की दुकानों पर उमड़ी भीड़ काबू नहीं होते देख 2-3 घण्टे में ही प्रशासन को दुकाने बंद करानी पड़ी। राज्य में आबकारी विभाग ने ठेकेदारों को सोशल डिस्टेंसिंग की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने तक दुकानें नहीं खोलने की हिदायत दी है। उधर छत्तीसगढ़ सरकार ने शराब की होम डिलवरी का फैसला लिया है। फिलहाल यह सेवा छत्तीसगढ़ के बड़े शहरों में की जा रही है। इसके लिए प्लेसमेंट एजेंसियों से डिलीवरी ब्वॉय की नियुक्ति करने के आदेश दिए हैं। जानकारी के अनुसार सुरा-प्रेमी अपनी पसंद की शराब का ऑर्डर सम्बंधित ठेकेदार को फोन पर अपना एड्रेस बताते हुए दे सकेंगे। कुल मिलाकर सभी जगह होम डिलवरी की व्यवस्था की जानी चाहिए तभी लोकडाउन का सही मायने में पालन हो पायेगा, वरना इसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे ।

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