वर्तमान शिक्षा प्रणाली के साथ साथ सामाजिक स्तर पर महिलाओं को कौशल विकास से जोड़ने के हर संभव प्रयास किए जाने की महती आवश्यकता है जिससे महिलाएं यदि बाहर जाकर नौकरी करने की इच्छुक नहीं हैं या किन्हीं परिस्थितियों के चलते ऐसा कर पाने में सक्षम नहीं हैं वो अलग अलग तरह के कौशल विकास में  पारंगत होकर घर बैठे स्वतंत्र रूप से अर्थोपार्जन की प्रक्रिया से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ सकें।
इस प्रकार वे आर्थिक रूप से सशक्त तो बनेंगी ही साथ ही देश की उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण कारक भी सिद्ध हो सकेंगी। ये विचार व्यक्त किए एमजीएसयू के सेंटर फॉर वीमेन्स स्टडीज़ की डायरेक्टर डाॅ. मेघना शर्मा ने । वे हरियाणा सरकार के उच्च शिक्षा निदेशालय द्वारा प्रायोजित व दयानंद महिला महाविद्यालय कुरूक्षेत्र के वूमन सैल द्वारा “कौशल विकास के माध्यम से महिला सशक्तिकरण ” विषय पर शुक्रवार को आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहीं थीं।
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हरियाणा सरकार के सामाजिक न्याय, अधिकारिता और सशक्तिकरण मंत्री कृष्णकुमार बेदी ने सरकार द्वारा महिलाओं के कौशल विकास आधारित वृहत स्तर पर संचालित योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हरियाणा ने देश को ऐसी बेटियां दी हैं जिन्होंने पूरे देश का सर विश्व स्तर पर ऊंचा किया है और अन्य महिलाओ के लिए उदाहरण साबित हुईं हैं।
उद्घाटन समारोह की मुख्य वक्ता भारत सरकार के आर्थिक व्यय मंत्रालय की निदेशक डाॅ. शिवाली चौहान ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिन महिलाओं के लिए योजनाओं को महिलाओं के उत्थान के लिए चलाया जा रहा है उनकी जानकारी से अशिक्षित नारी वर्ग अभी अछूता है और महिला केंद्रित उच्च शिक्षा इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई है व आगे भी महत्वपूर्ण साबित होगी। अध्यक्षीय उद्बोधन महाविद्यालय प्रबंधन समिति के कोषाध्यक्ष डाॅ. सुखदेव चौधरी ने दिया।
एमजीएसयू के बीकानेर की डाॅ. मेघना शर्मा समापन समारोह की मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता के रूप में महाविद्यालय की प्राचार्या डाॅ. विजेश्वरी, संगोष्ठी की सह-संयोजिका पूनम गोयल व आयोजन सचिव डाॅ. सुमन राजन द्वारा सम्मानित भी की गईं। संगोष्ठी में तीन तकनीकी सत्रों में लगभग साठ पत्रों का वाचन हुआ जिनमें रिसोर्स पर्सन की भूमिका डाॅ. श्रुति शौरी, डाॅ. शालिनी शर्मा व डाॅ वंदना दवे ने निभाई।