संस्थान की अध्यक्ष डॉ.अर्पिता गुप्ता ने कहा शिक्षित होने के लिए कोई उम्र सीमा नहीं होती पर इसके लिए महिलाओ को स्वरुचि लेनी होगी| शिक्षित महिला ही समाज व देश के उत्थान मे अपना पूर्ण योगदान दे सकती है, साथ ही शिक्षित महिला बच्चों की भी नैतिक, शारीरिक व मानसिक रूप से ज्यादा अच्छी तरह से परवरिश कर सकती है|
संस्थान के सचिव रमेश सियोता ने कहा सामाजिक अंधविश्वास व कुरीतियों जैसे दहेज प्रथा, पुनर्विवाह, विधवा विवाह इत्यादि भी समाप्त करने में महिलाये शिक्षित हो कर सहयोग दे सकती है|
संस्थान द्वारा उन महिलाओ का रजिस्ट्रेशन किया गया जो पढ़ने में इच्छुक है तथा उन्हें इस पहल के लिए पुरस्कृत भी किया गया|
सभी महिलाओं को पाठ्य सामग्री दी गई व हफ्ते में एक दिन नियमित कक्षा का आश्वासन दिया गया|
कार्यक्रम के सफल संचालन में आंगनवाड़ी संचालिका शीतल बिनावरा सहायिका रेखा, आशा, शेरबानो इत्यादि की महत्वपूर्ण भूमिका रही|