रोहतक। महिला चिकित्सक को सोशल मीडिया पर अश्लील संदेश भेजने के आरोपी डॉक्टर वीके ढुल की गिरफ्तारी के तीसरे दिन मंगलवार को प्रशासनिक अधिकारियों ने निलंबित कर दिया और बुधवार को एग्जीक्यूटिव काऊंसिल की आपात बैठक बुला कर सीनियर डॉक्टर के निलंबन पर अंतिम मुहर लगा दी।
इसके अलावा इस बैठक में घरेलू विवाद मामले में एक सीनियर डेंटल रेडियोग्राफर प्रेम हुड्डा को निलंबित करने के अलावा सर्जरी के सीनियर प्रोफेसर डॉ. आरके कडवासरा के निलंबन के आदेश को जारी करने के एजेंडे पर भी मुहर लगा दी गई।
पीजीआईएमएस के सीनियर डॉक्टर डॉ. ढुल पर आरोप है कि उन्होंने अपनी जूनियर डॉक्टर को व्हाट्सएप पर अश्लील मैसेज भेजा। इसकी शिकायत जूनियर डॉक्टर ने पुलिस को दी थी, इस आधार पर सीनियर डॉक्टर को पुलिस ने सुनारिया जेल में न्यायिक हिरासत में शनिवार को भेजा है।
वहीं घरेलू विवाद में न्यायिक हिरासत में गए रेडियोग्राफर के निलंबन पर भी प्रशासन ने मुहर लगा दी है। डॉ. कडवासरा के निलंबन आदेश को जारी रखते हुए ईसी ने उन्हें जांच अधिकारी के समक्ष दुबारा पेश होने को कहा है
इसकी शिकायत जूनियर डॉक्टर ने पुलिस और संस्थान को दी थी। पुलिस ने जहां आरोपी को सुनारिया जेल न्यायिक हिरासत में भेजा है, वहीं संस्थान की सेक्सुअल ह्रासमेंट कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन ने मंगलवार को सीनियर डॉक्टर को निलंबित कर दिया। हेल्थ विवि के नियमानुसार कार्रवाई करते हुए ईसी की आपात बैठक बुलाई और डॉक्टर ढुल के निलंबन पर अंतिम मुहर लगाई गई।
गौरतलब है कि हाल ही में पीजीआईएमएस में एग्जीक्यूटिव काऊंसिल की बैठक हुई थी और इसके मिनिट्स भी 15 दिन बाद जारी हुए थे।
सर्जरी विभागाध्यक्ष का निलंबन रहेगा जारी
भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित चल रहे सर्जरी विभाग के सीनियर प्रोफेसर डॉ. आरके कडवासरा का निलंबन आगे भी जारी रहेगा। यह निर्णय ईसी बैठक में लिया गया है जबकि पिछली ईसी में इस मुद्दे पर हुए फैसले को प्रशासन ने रेफर बैक कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि सर्जरी विभाग के सीनियर प्रोफेसर का अपने निलंबन पर तर्क था कि जांच के दौरान जांच अधिकारी ने उनका पक्ष ही नहीं सुना। वह अपना पक्ष नहीं रख पाए। इस आधार पर ईसी में निर्णय लिया गया है कि सर्जरी विभाग के सीनियर डॉक्टर को फिर जांच अधिकारी के समक्ष पेश होना होगा।
बताया जा रहा है कि जिस पीड़ित की शिकायत पर सीनियर सर्जन पर कार्रवाई हुई थी, उसने पिछली ईसी में डॉक्टर के निलंबन समाप्त किए जाने पर आपत्ति जताई थी। शिकायतकर्ता ने इसकी शिकायत कई जगह की थी।
शनिवार को पुलिस ने आरोपी डॉक्टर को जेल भेज दिया और पीजीआईएमएस प्रशासन मंगलवार तक कार्रवाई के लिए इंतजार करता रहा, जबकि नियमानुसार 72 घंटे पुलिस हिरासत में रहने वाले को निलंबित किया जाना होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि जूनियर डॉक्टर ने अपने सीनियर की शिकायत पहले की होगी, लेकिन उस पर किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई। जब पुलिस ने कार्रवाई की तो संस्थान के अधिकारियों के कार्रवाई करना मजबूरी हो गया।
प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में छेड़छाड़ की घटनाएं नई नहीं
प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में छेड़छाड़ घटना नई नहीं है। यहां तैनात सेक्सुअल ह्रासमेंट कमेटी की ढिलाई व सीनियरों की अनदेखी का शिकार जूनियरों को होना पड़ता है। कुछ विभागों में लगातार छेड़छाड़ की शिकायतें आती रहती हैं लेकिन जांच अधिकारी ही इसकी अनदेखी करते रहते हैं। बात पीजीआईएमएस की करें तो पूर्व में कुछ विभागों में छेड़छाड़ के मामले सामने आए, लेकिन समझौते पर निपट गए।