बीकानेर।माहेश्वरी समाज का उत्पत्ति दिवस महेश नवमी का पर्व 31 मई रविवार को उल्लासपूर्ण वातावरण में अपनी पारम्परिक संस्कृति को ध्यान में रखते हुए मनाया जायेगा।




मण्डल के मंत्री गोपाल कृष्ण मोहता व अन्य सभी माहेश्वरी समाज की संस्थाओं के पदेन पदाधिकारियों ने आयोजित आॅनलाईन बैठक में सामूहिक चर्चा में भाग लेते हुए समाज के समस्त लोगों से विनम्र आग्रह किया है कि इस वर्ष यह पर्व अपने घरों पर ही पारिवारिक रूप से एक साथ मनायेंगे।
महेश नवमी के पावन दिवस पर सर्वप्रथम प्रातःकाल भगवान महेश का अभिषेक, कलम की पूजा, भगवान महेश परिवार की पूजा-अर्चना, आरती के साथ महेश वन्दना का सामूहि गायन किया जावे। तत्पश्चात् घर पर चावल-दाल व लापसी बनाकर भगवान महेश परिवार को भोग लगाकर सामूहिक रूप से परिवार के सभी सदस्य इस प्रसाद को ग्रहण करेंगे। संध्या के समय 8 बजे समाज के प्रत्येक घर की छत अथवा बालकोनी में कम से कम 9 अथवा 11 दीपक (दीपमाला) के रूप में जलाकर शंखनाद व घंटी बजाकर सामूहिक रूप से महेश पर्व को मनाते हुए अपनी पारम्परिक संस्कृति का अवश्य निर्वहन करेंगे।
मण्डल द्वारा आयोजित ऑनलाईन बैठक में यह निर्णय सामूहिक रूप से समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने विशेष रूप से इसलिए लिया क्योंकि वर्तमान में पूरा भारतवर्ष वैश्विक महामारी कोरोना से संक्रमित है व प्रशासन व सरकारी आदेशों की पालना को ध्यान में रखते हुए इस पर्व को सामूहिक रूप से न मनाकर पारिवारिक रूप से ही मनाया जायेगा।


श्रीकृष्ण मण्डल द्वारा आयोजित आॅनलाईन बैठक में स्थानीय संस्थाओं के पदेन सदस्यों के अलावा प्रादेशिक व जिला स्तरीय संस्थाओं के पदेन सदस्यों ने भी सामूहिक रूप से चर्चा में भाग लेते हुए अपने-अपने विचार प्रकट किये जिनमें मुख्य रूप से मण्डल अध्यक्ष बाबूलाल मोहता, ओमप्रकाश करनाणी, गोपीकिशन पेड़िवाल, घनश्याम कल्याणी, नारायण बिहाणी, नारायण दास दम्माणी, कंचन राठी, निशा झंवर, रेखा लोहिया, गोपाल कृष्ण मोहता, चांद मूंधड़ा, किसन चाण्डक, शिव कुमार चाण्डक, नारायण डागा, मनोज बिहाणी, पवन राठी, राजेश बिन्नाणी, मगनलाल चाण्डक, राजेश बिन्नाणी, बलदेव मूंधड़ा किरण झंवर आदि प्रमुख थे।
