मित्रता एक ऐसा शब्द है जिससे कई आदमियों के जीवन आसान हो गए उन्हें बहुत सहारा मिला और कुछ बदकिस्मत ऐसे भी रहे कि जिन्होने धोखा खाया और नुकसान में आ गए। जब दो बच्चे दोस्ती करते हैं तो वह निर्मल भाव से एक दूसरे के प्रति समर्पित होते हैं आपस मे झुठा भी खाते हैं। साथ रहेंगे साथ खाएंगे साथ खेलेंगे पर हां अपनी मनपसंद चीज के लिए आपस मे झगड़ा भी जरूर होगा, लेकिन वह ज्यादा देर नहीं रहता, तुरंत मित्रता बन जाती है। टीनएजर में मित्रता सोच समझकर होती है और वह एक समान स्वभाव के अनुरूप मित्रता करते हैं। युवाओ की मित्रता ग्लैमर के साथ होती है, युवक युवती की प्रारंभिक मित्रता एक दूसरे के प्रति आकर्षित होने से होती है, सभ्य युवक युवती प्रेम करके शादी कर लेते हैं और लंपट युवक-युवती मित्रता के नाम पर अनैतिक संबंध बना लेते हैं। प्रोढ अपने जीवन की कमी दूर करने के लिए मित्रता करते हैं। पर जब कोई व्यापार में मित्रता करता है या मित्र के साथ व्यापार करता है तो वह बड़ा रिस्की हो जाता है। किस्मत वाले तरक्की करते है और जीवन का लुफ्त उठाते हैं परंतु बदकिस्मत व्यापार में धोखा खा जाते हैं। कई लोग मित्रता में सहज एक दूसरे की जमानत दे देते हैं और जो बैंक लोन नहीं चुकाता है तो जमानतदार याने मित्र की प्रॉपर्टी कुर्क होती है। मित्रता का भाव एक पवित्र भाव है इसलिए सोच समझकर लालची या ज्यादा मीठी बात करने वाले से मित्रता नहीं करना चाहिए।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)