ओम एक्सप्रेस – बीकानेर/ मुक्ति संस्था बीकानेर के तत्वावधान में बुधवार को राजस्थानी भाषा में राष्ट्रीय काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया , काव्य-गोष्ठी के मुख्य अतिथि साहित्य अकादमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य “आशावादी” थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षतावरिष्ठ साहित्यकार कवि – कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की।
काव्य-गोष्ठी के प्रारंभ में संयोजक जयपुर की युवा साहित्यकार कविता मुखर ने सभी कवियों का परिचय प्रस्तुत करते हुए संस्था की और से स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा को विस्तार से प्रस्तुत किया ।
काव्य-गोष्ठी के मुख्य अतिथि मधु आचार्य ने कहा कि आज पढ़ी गयी रचनाएँ अन्य भारतीय भाषाओं की रचनाओं से किसी भी स्तर पर कमज़ोर नहीं है उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा में मुक्ति संस्था द्वारा आयोजित काव्य-गोष्ठी राजस्थानी भाषा की मान्यता की माँग को आगे बढ़ाने में प्रोत्साहित करती है, आचार्य ने कहा कि आनलाइन कार्यक्रम में आज उम्दा रचनाओं का पाठ राजस्थानी को अन्य भारतीय भाषाओं के साथ खड़ा करती है ।

उन्होंने कहा कि मातृभाषा में संवेदनाएं मौजूद है ।
काव्य-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि आज पढ़ी गयी कविताओं के तीन रंग देखने को मिले है जब तीन पीढ़ी के कवियों ने एक साथ कविता पाठ किया है उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में समाज की सहभागिता राजस्थानी रचनाओं में स्पष्ट रूप से देखने को मिली जब लोक की कविता, साम्प्रदायिक सदभाव की रचना, प्रेम गीत एवं संस्कृति गीतों का मिज़ाज प्रस्तुत किया गया है । जोशी ने कहा कि इस तरह की आनलाइन कार्यक्रम साप्ताहिक रूप से किया जाएगा
कार्यक्रम की संयोजक मुखर कविता ने बताया कि काव्य-गोष्ठी में कोटा के वरिष्ठ राजस्थानी कवि जितेन्द्र निर्मोही, बीकानेर के राजाराम स्वर्णकार, उदयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार अरविंद सिंह आशिया, बीकानेर की युवा साहित्यकार डॉ रेणुका व्यास एवं वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र जोशी ने कविताओं की शानदार प्रस्तुति दी।
कविता मुखर ने बताया कि
कोटा के वरिष्ठ राजस्थानी कवि जितेन्द्र निर्मोही ने राजस्थानी गीतों की प्रभावी ढंग से प्रस्तुति देते हुए गीत थां की याद आवै छै थां की मन में आवै छै बैगा आज्यो जी साहिब जी थां कि याद आवै छै एवं साजन खडग्यो झूंठौ गीत सावन बाट न्हालत खड्ग्यौ,फागण पात झड़ता चलग्यौ ई आसाढी की दफैरी को जुलम टूट्यौ म्हारो साजन खडग्यो झूंठौ को शानदार तरीके से सुनाया ।
काव्य-गोष्ठी में बीकानेर के वरिष्ठ कवि राजाराम स्वर्णकार ने लोक को समर्पित राजस्थानी कविताएं पढ़ी, स्वर्णकार ने मरू संस्कृति पर “मरू जीवन मरू संस्कृति भासा भोम निवास भारत भर में दीप्ति मरूधर रौ इतिहास तथा मातृभाषा पर मात भासा बिना गूँगी जिनगाणी घरां माँ रै बिना सूनी जिनगाणी रचनाएं पढ़कर वाहवाही लूटी ।

मुखर ने बताया कि मीढ़ी आवाज़ के राजस्थानी गीतकार उदयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार अरविंद सिंह आशिया ने राजस्थानी गीत और राजस्थानी कविताएं पढ़ी आशिया ने उडीक रो गीत सुनाते हुए “आयनै एंकर थूं पाछौ झांक लै प्रीत री मरज़ाद इतरी राख लै” कर्णप्रिय लयबद्ध गीत की शानदार प्रस्तुति दी। आशिया ने थारी – म्हारी, परम एवं एक शीर्षक से कविताओं का वाचन करते हुए वाहवाही लूटी ।
कार्यक्रम संयोजक मुखर ने बताया कि हिन्दी-राजस्थानी की युवा कवियत्री डॉ रेणुका व्यास ‘नीलम’ ने माँ, मिंदर अर मस्जिद, रामसेतु, घर-बेघर, ऐकांयंत एवं मिनख री सुतंतरता शीर्षक से कविताओं का वाचन करते हुए प्रभावी प्रस्तुति दी । डॉ. रेणुका ने साम्प्रदायिक सदभाव की रचना पढ़ते हुए कहा कि ” रात रै अंधारै मांय जद सूय जावै हिन्दू अर मुसलमान मिंदर अर मस्जिद करै आपसरी मांय मन री बातां ” की बेहतरीन प्रस्तुति दी।

राजस्थानी काव्य-गोष्ठी में मुबंई की साहित्यकार अलका अग्रवाल ने वर्तमान कोरोना संक्रमण के कारण लोगों की हालात को अपनी रचनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया, उन्होंने लघु उधोग धंधों की बिगड़ती स्थित से बच्चों की शिक्षा और घर के चूल्हे की वास्तविकता को राजस्थानी कविताओं के माध्यम से उदघाटित किया । कार्यक्रम में देश भर के अनेक साहित्यकार एवं श्रोताओं ने सहभागिता की ।